खेल मंत्रालय ने कुछ महिला पहलवानों द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष और कुछ कोचों पर लगाए गए यौन शोषण के आरोपों को गंभीरता से लिया है। खेल मंत्रालय ने अगले 72 घंटे में इस मामले पर कुश्ती महासंघ से जवाब मांगा है। इसके बाद दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों और खेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच मीटिंग हुई। हालांकि, पहलवानों ने कहा कि जंतर-मंतर पर उनका धरना शुक्रवार को भी जारी रहेगा क्योंकि उन्हें जो आश्वासन मंत्रालय के अधिकारियों की तरफ से दिया जा रहा है उससे वे संतुष्ट नहीं हैं।
टोक्यो ओलंपिक्स में ब्रॉन्ड मेडल जीतनेवाले पहलवान बजरंग पुनिया ने कहा, ‘ अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, हमें केवल आश्वासन दिया गया है। 5 से 6 महिला पहलवानों के पास यौन उत्पीड़न के सबूत हैं। पुनिया ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के इस्तीफे और उनकी गिरफ्तारी की मांग की।
देश की जानी-मानी पहलवान विनेश फोगाट और साक्षी मलिक पहले ही बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोप लगा चुकी हैं। इनका आरोप है कि पिछले कई वर्षों से नेशनल कैम्प के दौरान कई महिला पहलवानों का यौन शोषण किया गया।
इन आरोपों ने पूरे भारतीय खेल जगत को झकझोर कर रख दिया है। खेल स्पर्धाओं के प्रशासकों की बदनामी हुई है। विनेश फोगाट ने दो बार वर्ल्ड चैम्पियनशिप का खिताब जीता है और तीन बार राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड मेडल जीता है। विनेश ने आरोप लगाया कि बृजभूषण शरण सिंह ने कुश्ती महासंघ के कुछ प्रभावशाली पदाधिकारियों के माध्यम से उसे जान से मारने की धमकी दी। पहलवानों का यह विरोध प्रदर्शन बुधवार को उस वक्त से शुरू हुआ जब विनेश फोगाट, ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडल विजेता साक्षी मलिक और टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतने वाले बजरंग पुनिया के साथ जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गईं। इन पहलवानों ने गुरुवार को भी अपना धरना जारी रखा।
जरा सोचिए कि इस कड़कड़ाती ठंड में देश के जाने-माने पहलवानों को महिला पहलवानों के यौन शोषण के विरोध में खुले आसमान के नीचे बैठना पड़ा है। पहलवानों के आरोप वाकई हैरान करनेवाले हैं। यह देश के सभी खेल प्रेमियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
बजरंग पुनिया ने कहा कि कुश्ती महासंघ में तानाशाही चल रही है, सिलेक्शन के लिए मनमाने नियम बनाए जा रहे हैं, जो खिलाड़ी देश को मेडल दिलाते हैं उन्हें कोच तक नहीं दिए जा रहे हैं। साक्षी मलिक ने कहा कि जानबूझ कर बार-बार लखनऊ में कोचिंग कैंप आयोजित किए जाते हैं क्योंकि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह लखनऊ में रहते हैं। वे लखनऊ के पास कैसरगंज लोकसभा सीट से सांसद हैं। लड़कियों को उनके पास जाने के लिए मजबूर किया जाता है। जो इसका विरोध करता है उसे अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा जाता है।
आमतौर पर खिलाड़ी न सियासत में पड़ते हैं, न धरने पर बैठते हैं, न तो नारेबाजी करते हैं और न ही बयानबाजी करते हैं। लेकिन देश को गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल दिलानेवाले पहलवान धरने पर बैठें, यह बेहद अफसोसजनक और हैरान करनेवाला है।
मामला बढ़ने पर भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह बाराबंकी से दिल्ली पहुंचे। उन्होंने कहा कि वे निर्दोष हैं और अगर यौन शोषण के आरोप साबित होते हैं तो वे फांसी पर लटकने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कुश्ती महासंघ के सचिव विनोद तोमर को पहलवानों से बात करने के लिए भेजा लेकिन पहलवानों ने उनसे बात करने से इनकार कर दिया।
बृजभूषण शरण सिंह ने आरोप लगाया कि दिल्ली में चल रहे पहलवानों के इस विरोध-प्रदर्शन के पीछे एक बड़े उद्योगपति का हाथ है। उन्होंने कहा, पहलवान अपने आरोपों को साबित करने के लिए अभी तक कोई ठोस सबूत लेकर सामने नहीं आए हैं। बृजभूषण शरण सिंह ने इस्तीफा देने से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वे जांच से नहीं डरते हैं। वे इन आरोपों की सीबीआई जांच का भी सामना करने के लिए तैयार हैं।
यह शर्म की बात है कि एक महासंघ के अध्यक्ष को अपने खिलाडिय़ों के यौन शोषण के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है, और आरोप भी खासतौर पर उन खिलाड़ियों ने लगाया जिन्होंने कुश्ती के अखाड़े से देश का गौरव बढ़ाया है।
मैं आपको बता दूं कि इन्हीं पहलवानों की वजह से 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को कुश्ती में 12 मेडल मिले। इन्हीं पहलवानों की वजह से 2020 के टोक्यो ओलंपिक में कुश्ती में देश को दो मेडल मिले, इनमें से एक मेडल बजरंग पूनिया ने जीता था। इन पहलवानों की वजह से भारत ने अब तक ओलंपिक इतिहास में सात मेडल जीते हैं। अगर इन पहलवानों को धरने पर बैठना पड़े तो इससे ज्यादा शर्म की बात कोई नहीं हो सकती।