Rajat Sharma

My Opinion

कैसे पंजाब में हजारों दुल्हनों ने अपने ससुराल वालों को दिया धोखा

AKB30 आज मैं आपको पंजाब में दिख रहे एक खतरनाक ट्रेंड के बारे में आगाह करना चाहता हूं। ऐसे हजारों मामले सामने आए हैं जिनमें परिवारों ने लाखों रुपये खर्च करके अपनी बहुओं को कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में भेजा। इन परिवारों को उम्मीद थी कि उनकी बहुएं स्पाउस वीजा भेजेंगी जिससे उनके बेटे विदेश जाकर एक अच्छा जीवन जिएंगे और डॉलर एवं पाउंड में पैसे कमाएंगे। लेकिन इनमें से कई परिवारों की उम्मीदें तब धराशायी हो गईं जब इन बहुओं ने विदेश पहुंचकर अपने पतियों को छोड़ दिया और कुछ मामलों में तो उन्हें विदेश में जेल तक भेज दिया।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन परिवारों ने पिछले 5 सालों में कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों में जाने के लिए अपनी दुल्हनों को विदेश में सेटल करने और उन्हें पढ़ाने-लिखाने में लगभग 150 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। विदेश में बसने के बाद लगभग 3,600 दुल्हनों ने बाद में अपने ससुराल वालों को धोखा दिया और अपने पतियों को छोड़ दिया। पंजाब में आम बोलचाल में इसे ‘कॉन्ट्रैक्ट मैरिज’ के नाम से जाना जाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दुल्हनों द्वारा ठगे गए परिवारों द्वारा विदेश मंत्रालय में इस तरह की 3,300 से अधिक शिकायतें दर्ज कराई गई हैं और इनमें से 3 हजार मामले अकेले पंजाब के हैं। पिछले 6 महीनों में इस तरह की धोखाधड़ी के करीब 200 मामले सामने आए हैं। दुल्हनों द्वारा लूटे गए इन परिवारों में से अधिकांश थानों और अदालतों के चक्कर काट रहे हैं।

पंजाब में होने वाली इस ‘कॉन्ट्रैक्ट मैरिज’ के मुताबिक, विदेश में बसने के इच्छुक युवकों के परिजन IELTS एग्जाम (इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम) पास कर चुकी लड़कियों के साथ अपने बेटों की शादी करवाते हैं। दरअसल, जो भारतीय छात्र एवं छात्राएं अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करना चाहते हैं उनके लिए IELTS एग्जाम पास करना अनिवार्य है। IELTS एग्जाम में कैंडिडेट्स के अंग्रेजी बोलने, सुनने और लिखने की स्किल को टेस्ट किया जाता है। दूल्हे का परिवार दुल्हन के वीजा से लेकर पढ़ाई-लिखाई, उसके विदेश आने-जाने और वहां रहने-खाने आदि पर आए खर्च को वहन करता है। यह रकम 25 से लेकर 50 लाख रुपये तक हो सकती है।

दूल्हे का परिवार इस उम्मीद में पैसे खर्च करता है कि दुल्हन को आखिरकार वहां स्थायी निवास मिल जाएगा और फिर वह स्पाउस वीजा भेजकर अपने पति को विदेश बुला लेगी और दोनों वहां साथ-साथ रहेंगे। दलाल और स्थानीय एजेंट IELTS एग्जाम पास करने वाली लड़कियों की डिटेल्स के साथ संभावित दूल्हे के परिवारों से संपर्क करते हैं। इसके बाद एक मैरिज कॉन्ट्रैक्ट होता है और दूल्हे का परिवार इस उम्मीद में लाखों रुपये खर्च करने के लिए तैयार हो जाता है कि दुल्हन दूसरे देश पहुंचने के बाद अपने पति के लिए स्पाउस वीजा भेज देगी। पिछले 3 महीने में इस तरह की धोखाधड़ी के लुधियाना से 30 और जालंधर से 70 मामले सामने आए हैं।

इंडिया टीवी की संवाददाता गोनिका अरोड़ा और पुनीत परिंजा ने पंजाब के कई जिलों में उन परिवारों से मुलाकात की, जिन्हें उनकी दुल्हनों ने धोखा दिया है। वे इस तरह के फ्रॉड का शिकार हुए परिवारों से मिलने के लिए जालंधर, मोगा, फिरोजपुर और लुधियाना गए। ज्यादातर मामलों में, दुल्हनें विदेश पहुंचने के बाद अपने टेलीफोन नंबर बदल लेती हैं, सारे संपर्क तोड़ लेती हैं और कुछ मामलों में झूठे आरोप लगाकर अपने पतियों को जेल भिजवा देती हैं।

हमारे रिपोर्टर्स ने फिरोजपुर के तलवंडी भाई इलाके के रहने वाले अमृतलाल से मुलाकात की। अमृतलाल ने बताया कि उन्होंने अप्रैल 2018 में अपने बेटे ओंकार सिंह की शादी मनवीन (बदला हुआ नाम) से की थी। मनवीन ने IELTS एग्जाम में अच्छा स्कोर किया था, और उसे कनाडा की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए स्टडी वीजा मिल गया था। दूल्हे के परिवार ने स्टडी वीजा से लेकर पढ़ाई तक का सारा खर्चा उठाया, सिक्यॉरिटी फीस जमा की और शादी से लेकर पढ़ाई तक के लिए कुल 46 लाख रुपये लगा दिए। उन्होंने अपनी प्रॉपर्टी और गाड़ी बेचकर पैसों का इंतजाम किया। मनवीन अपनी पढ़ाई के दौरान 3 बार भारत आई, और जब घरवालों ने कहा कि बेटे को अब साथ ले जाओ तो वह सितंबर 2019 में स्पाउस वीजा पर अपने पति ओंकार सिंह को साथ ले गई। कनाडा पहुंचने पर उसने ओंकार पर यौन उत्पीड़न और बलात्कार का आरोप लगा दिया जिसके बाद कनाडा की पुलिस ने उसका पासपोर्ट जब्त कर उसे जेल भेज दिया। अब ओंकार सिंह कनाडा में ट्रकों की मरम्मत कर रहा है और उसकी पत्नी, जिसने उसे छोड़ दिया था, मजे से अपनी जिंदगी गुजार रही है।

जालंधर के बंगा इलाके में रहने वाले चमनलाल ने 25 मार्च 2018 को अपने बेटे गौरव की शादी कुसुम कुमारी (बदला हुआ नाम) से की। कुसुम ने IELTS एग्जाम पास किया था और उसे कनाडा की एक यूनिवर्सिटी के लिए स्टडी वीजा मिल गया था। शादी के एक महीने बाद कुसुम कनाडा चली गई। दूल्हे का परिवार उसकी हर सेमेस्टर की फीस के लिए हजारों डॉलर देता रहा, और कुल मिलाकर 35 लाख रुपये से भी ज्यादा की रकम खर्च कर दी। बेटे को कनाडा बुलाने की बात आई तो कुसुम ने स्पाउस वीजा पर गौरव को टोरंटो तो बुला लिया, लेकिन खुद गायब हो गई। उसने गौरव से कोई कॉन्टैक्ट नहीं किया। इसका नतीजा ये हुआ कि गौरव का स्पाउस वीजा कुछ दिन बाद कैंसिल हो गया और उसका विजिटर वीजा भी खत्म होने वाला है। ऐसे में अब गौरव को भारत वापस आना ही पड़ेगा नहीं तो उसे वहां जेल जा पड़ सकता है।

मोगा में भूपिंदर और रूपिंदर (बदला हुआ नाम) ने मई 2019 में एक एजेंट के जरिए हुए कॉन्ट्रैक्ट के बाद शादी कर ली। दूल्हे के परिवार ने रूपिंदर की पढ़ाई-लिखाई, विदेश जाने और वहां ठहरने पर लाखों रुपये खर्च किए। शादी के एक महीने बाद दुल्हन कनाडा गई और गायब हो गई। अब भूपिंदर पिछले दो साल से स्पाउस वीजा का इंतजार कर रहा है, लेकिन रूपिंदर उससे कॉन्टैक्ट ही नहीं करती।

कुछ मामले ऐसे भी हैं जिनमें दुल्हन और उसके माता-पिता की गिरफ्तारी हुई। लुधियाना जिले के रुडका गांव में अवनिंदर सिंह ने जुलाई 2018 में सुमनदीप (बदला हुआ नाम) से शादी की। ‘कॉन्ट्रैक्ट’ के मुताबिक, सुमनदीप को विदेश बेजने का खर्चा अवनिंदर का परिवार उठाने वाला था। अवनिंदर के परिवार ने वादा पूरा किया, लेकिन एक समझदारी की। उन्होंने 10 लाख रुपये दुल्हन के अकाउंट में भेजने की बजाय उसके पिता के अकाउंट में ट्रांसफऱ किए। टेक्निकल ग्राउंड पर सुमनदीपा का वीजा रिजेक्ट हो गया और वह तुरंत ससुराल से अपने घर संगरूर वापस चली गई। अवनिंदर जब अपनी पत्नी को लेने उसके घर पहुंचा तो उसके माता-पिता ने उसके परिवार के खिलाफ घरेलू हिंसा और दहेज का मामला दर्ज करा दिया। हालांकि बाद में ये दोनों केस रिजेक्ट हो गए और अवनिंदर ने सुमनदीप और उसके परिवार के खिलाफ धोखाथड़ी का मुकदमा दर्ज करवाया। पुलिस ने दुल्हन और उसके मां-बाप को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन अवनिंदर के परिवार को पैसे अब भी वापस नहीं मिल पाए हैं।

धोखाधड़ी के ऐसे ज्यादातर मामलों में स्थानीय पुलिस कार्रवाई नहीं कर पाती है क्योंकि दुल्हनें विदेश में होती हैं। कई लोगों ने विदेशों में भारतीय दूतावासों में शिकायतें कीं और विदेश मंत्रालय तक से संपर्क किया। दुल्हन के परिवार का कोई भी सदस्य कैमरे के सामने आने के लिए तैयार नहीं हुआ। NRIs के खिलाफ मामलों की संख्या लगभग 15,000 तक पहुंच गई है और उनमें से भी ज्यादातर मामले वैवाहिक धोखाधड़ी से जुड़े हैं। जब लोग दुल्हनों पर पैसा खर्च करके अपने बेटों को गलत रास्ते से विदेश में सेटल करने की कोशिश करते हैं, तो धोखाधड़ी की ऐसी घटनाएं होना तय है।

‘कॉन्ट्रैक्ट मैरिज’ करने वाले ऐसे परिवारों को मेरी सलाह है कि ट्रैवल एजेंटों या बिचौलियों पर भरोसा न करें। किसी लड़की का आंकलन उसके चरित्र से करें। जो लोग चाहते हैं कि उनके बच्चे विदेश में बस जाएं, उन्हें ऐसी गलतियों से सबक लेना चाहिए। विदेश में बसने के लिए योग्यता हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं है। खुद भी सावधान रहें और दूसरों को भी सावधान रहने की सलाह दें।

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How thousands of brides in Punjab cheated their in-laws after settling abroad

AKB30 Today I want to sound a note of caution about a dangerous trend that is being noticed in Punjab. There have been several thousand cases in which families spent lakhs of rupees in sending their daughters-in-law to countries like Canada, Australia and United Kingdom with the hope that they would send spouse visa so that their sons could go abroad, live a good life and earn money in foreign currency. But the hopes of many of these families were dashed when these daughters-in-law, after reaching abroad, disowned their husbands, and in some cases, sent them to jail in foreign land.

According to one report, nearly Rs 150 crores were spent by these families in educating and arranging travel for their brides in order to go to countries like Canada, Australia and UK, over the last five years. Nearly 3,600 brides later cheated their in-laws and disowned their husbands after they settled abroad. In common parlance, in Punjab, it is known as ‘contract marriage’.

The report says, more than 3,300 such complaints have been filed by the cheated families with the Ministry of External Affairs, and out of these, three thousand cases are from Punjab. In the last six months, nearly 200 such cases of cheating have been reported. Most of these cheated families are running from pillar to post in police stations and law courts.

According to this ‘contract marriage’ in Punjab, families of young men who want to settle abroad, enter into matrimonial alliance with girls who have passed IELTS (International English Language Testing System), an essential prerequisite for Indian students who want to study abroad in universities in USA, UK, Australia, Canada and New Zealand. In IELTS exam, the English speaking, listening and writing skills of candidates are tested. The groom’s family foots the bill for visa fee, overseas education fee, travel charges and overseas stay of the bride. This runs up to Rs 25 to 50 lakhs.

The groom’s family spends money in the hope that she would ultimately get permanent residence there and then send spouse visa to her husband to go and stay with her in foreign land. Touts and local agents approach families of prospective grooms with details of girls who have cleared IELTS exam. A marriage contract is reached and the groom’s family agrees to spend lakhs of rupees in the hope that the bride, on reaching foreign shores, will send spouse visa to her husband. In the last three months, 30 such cheating cases have been reported from Ludhiana and 70 cases from Jalandhar.

India TV reporters Gonika Arora and Puneet Parinja travelled to several districts of Punjab to meet the families who have been cheated by their brides. They visited Jalandhar, Moga, Ferozepur and Ludhiana to meet the families. In most of the cases, the brides on reaching abroad, changed their telephone numbers, remained incommunicado and, in some of the cases, sent their husbands to jails by making false charges.

Our reporters met Amrit Lal, resident of Talwandi Bhai of Ferozepur, who said, he married his son Onkar Singh to a girl Manveen (name changed) in April, 2018. Manveen had scored well in IELTS exam, and got study visa for a university in Canada. The groom’s family footed the hefty study visa bill, deposited security money, and, in all, spent Rs 46 lakh by selling their property and vehicles. The bride came to India thrice during her study, and on insistence from her in-laws, took her husband Onkar Singh on a spouse visa in September 2019. On reaching Canada with her husband, she levelled charges of sexual harassment and rape, her husband was jailed and his passport was seized by Canadian authorities. Onkar Singh now works as a truck mechanic, while his wife, who left him, is having a fun time.

In Banga locality of Jalandhar, lives Chaman Lal, who, on March 25, 2018, married his son Gaurav to Kusum Kumari (name changed), who had cleared her IELTS exam and had got a study visa for a university in Canada. Kusum left for Canada a month after her marriage. The groom’s family regularly deposited thousands of dollars to pay for her semester fees. They also paid for her flight and stay, and spent more than Rs 35 lakhs, by hypothecating their property. Kusum sent spouse visa for her husband, but when Gaurav reached Toronto airport, he found that Kusum had changed her phone number and had simply vanished. The result: Gaurav’s spouse visa was cancelled, and his visitor visa is about to expire. If he fails to return to India, he may be sent to jail.

In Moga, Bhupinder and Rupinder (name changed) married in May, 2019 after a marriage contract was arranged by a middleman. The groom’s family spent lakhs of rupees on her study visa, security money, travel and stay. The bridge left for Canada a month after her marriage, and vanished. Since then, Bhupinder has been waiting for a spouse visa for the last two years from his wife, but she has stopped contacting him.

There has been few cases in which the bride and her parents were arrested. In Rudka village of Ludhiana district, Avaninder Singh married Sumandeep (name changed) in July, 2018. As per ‘contract’, Avaninder’s parents transferred Rs 10 lakh to the bride’s parents, instead of transferring money directly to her account. Sumandeep’s visa application was rejected on technical grounds, and she immediately left for her parents’ home in Sangrur. When Avaninder went to bring back his wife from her paternal home, her parents filed cases of domestic violence and dowry against his family. After both cases were dismissed, Avaninder’s parents failed case of cheating against the bride’s family. The bride and her parents were arrested, but Avaninder’s family is yet to get back their money.

In most of such cases of cheating, local police has been unable to take action because the brides are in foreign land. Complaints were sent to Indian consulates and embassies abroad, and also with the Ministry of External Affairs. None of the family members of brides agreed to speak on camera. The number of cases against NRIs has gone up to nearly 15,000, and most of them are related to matrimonial frauds. When people seek shortcuts by spending money on brides in order to send their sons to settle in foreign land, such incidents of cheating are bound to occur.

My advice to such families which enter into ‘marriage contract’ is: Do not trust travel agents or middlemen. Judge a girl by her character. Families who want their sons to settle abroad should learn lesson from such mistakes. There is no shortcut to hard work in order to acquire qualifications to settle abroad. Stay alert and advise others to stay alert too.

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टीकाकरण के मुद्दे को सियासत से दूर रखें

AKB30 एक तरफ जहां पूरे देश में महामारी की दूसरी लहर में काफी हद तक कमी देखने को मिल रही है, कोविड-19 टीकाकरण के मुद्दे पर सियासी नोकझोंक बदस्तूर जारी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को हिंदी में ट्वीट कर कहा, ‘जुलाई आ गया है, वैक्सीन नहीं आई।’ शनिवार को उन्होंने एक अन्य ट्वीट को एक ग्राफ के साथ पोस्ट करते हुए लिखा, ‘माइंड द गैप! #WhereAreVaccines।’ उनके द्वारा पोस्ट किए गए ग्राफ में दिखाया गया है कि जहां तक संचयी टीकाकरण का सवाल है, भारत अपने लक्ष्य से 27 प्रतिशत पीछे है। ग्राफ के मुताबिक, देश में रोजाना औसतन 50.8 लाख टीके लगाए गए, जबकि तीसरी लहर से बचने के लिए प्रतिदिन 69.5 लाख टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने ट्विटर पर सबसे पहले करारा पलटवार किया। उन्होंने लिखा: ‘अभी कल ही मैंने जुलाई के लिए टीके की उपलब्धता को लेकर तथ्य सामने रखे थे। राहुल गांधी जी की समस्या क्या है? क्या वह समझते नहीं हैं? अहंकार और अज्ञानता के वायरस का कोई टीका नहीं है। कांग्रेस को अपने नेतृत्व में आमूल-चूल बदलाव के बारे में विचार करने की जरूरत है।’

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘राहुल गांधी को अपनी पार्टी का वाइट पेपर कूड़े में डालना था, उसकी बजाये कांग्रेस सरकार ने वैक्सीन को कूड़े में फैंक दिया। पंजाब व राजस्थान कोरोना से कमाई कर रहे हैं। राजस्थान में मृतकों की संख्या छुपाई, भ्रम व पैनिक फैलाकर ये लोग भ्रष्टाचार करते हैं।’

सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्विटर पर राहुल गांधी को जवाब देते हुए कहा: ‘भारतवासियों ने 35 करोड़ वैक्सीन ली। आपने ली कि नहीं, यह पता नहीं?’

राहुल गांधी सोशल मीडिया पर अक्सर किसी न किसी मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। आमतौर पर केंद्रीय मंत्री राहुल गांधी के आरोपों पर अब प्रतिक्रिया देने से बचते हैं। लेकिन जब राहुल ने वैक्सीनेशन के मुद्दे पर सरकार से सवाल किया तो 3 केंद्रीय मंत्रियों ने तीखा पलटवार किया। शुक्रवार को बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने मीडिया से कहा कि पिछले 11 दिनों में देश में औसतन वैक्सीन के 62 लाख डोज रोजाना लगाए गए, लेकिन यह राहुल गांधी नहीं दिखेगा क्योंकि उन्हें हर मुद्दे पर नरेंद्र मोदी का विरोध करना है।

बीजेपी के नेताओं का दावा है कि अब तक 34 करोड़ भारतीयों को वैक्सीन लग चुकी है, लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि मुश्किल से 6 करोड़ लोगों की ही दोनों डोज लगी हैं। उनका कहना है कि ये पूरी आबादी का 5 से 6 प्रतिशत भी नहीं है। बीजेपी के नेता गिनवाते हैं कि प्रतिशत देखना हो तो यह भी देखना चाहिए कि हमारे यहां अमेरिका के मुकाबले कितने प्रतिशत लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए, और कितने प्रतिशत लोगों की इस बीमारी से जान गई।

आम लोग हकीकत जानना चाहते हैं कि क्या वाकई में वैक्सीन की कमी है? क्या लोगों को वैक्सीन लग रही है? सबको वैक्सीन कब तक लग पाएगी? मैं आपको कुछ ऐसे तथ्य बताता हूं, जिनसे न तो राहुल गांधी और न ही विपक्ष का कोई दूसरा नेता इनकार कर सकता है।

तथ्य नंबर एक: भारत दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीन डोज लगाने वाला देश बन गया है। अमेरिका से भी ज्यादा वैक्सीन डोज भारत में लगी हैं। अमेरिका में वैक्सीन की 32 करोड़ 80 लाख डोज लगाई गई हैं जबकि भारत में लोगों को वैक्सीन की 34 करोड़ से ज्यादा डोज दी जा चुकी हैं।

तथ्य नंबर दो: 45 साल से ज्यादा उम्र के 19.91 करोड़ लोगों को वैक्सीन की डोज मिल चुकी है, जबकि 18 से 44 साल तक की उम्र के लोगों को भारत में 9.65 करोड़ डोज लगाई जा चुकी हैं। वैक्सीन की 2.71 करोड़ डोज हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स को दी गई हैं, जिनमें से 1.74 करोड़ डोज स्वास्थ्यकर्मियों को लगाई गई हैं।

तथ्य नंबर तीन: 2 जुलाई तक भारत में वैक्सीन की कुल 34 करोड़ 46 लाख 11 हजार 291 डोज दी जा चुकी हैं। सिर्फ 1 जुलाई को ही वैक्सीन की 42,64,123 डोज लोगों को लगाई गईं।

केंद्र सरकार की तरफ से वादा किया गया है कि जुलाई में वैक्सीन के 12 करोड़ डोज उपब्लध कराए जाएंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि राज्यों को इस बात की जानकारी 15 दिन पहले ही दी जा चुकी है। अगले 3 दिनों में राज्यों को वैक्सीन के 44 लाख 90 हजार डोज मिल जाएंगे। यह संख्या प्राइवेट अस्पतालों को मिली वैक्सीन से अलग है। आंकड़े देखने से साफ पता चलता है कि भारत में इस समय वैक्सीन की कमी नहीं है।

वैक्सीनेशन के मामले में कई राज्य सरकारें भी अपनी तरफ से कोशिश कर रही हैं। महाराष्ट्र में अब तक 3.29 करोड़ वैक्सीन डोज लगाए गए हैं और यह पहले नंबर पर है। इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर आता है जहां अब वैक्सीन की 3.19 डोज दी जा चुकी हैं। गुजरात में 2.61 करोड़ डोज लगाई गई हैं और यह लिस्ट में तीसरे नंबर पर है। राजस्थान, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के बाद मध्य प्रदेश का नंबर आता है। मध्य प्रदेश में लोगों को वैक्सीन की 2.13 करोड़ डोज लगाई जा चुकी हैं।

शुक्रवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कि कैसे मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में स्थित एक टीकाकरण केंद्र पर एक हजार से ज्यादा ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी, जबकि वहां वैक्सीन की केवल 250 डोज ही उपलब्ध थीं। वहां लगभग भगदड़ ही मच गई थी और हालात को संभालने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा। इसी तरह की भीड़ मध्य प्रदेश के आगर मालवा कस्बे में भी देखी गई।

भीड़ की इन दो तस्वीरों के आधार पर कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की सरकार को कोरोना मेनेजमेंट में फेल घोषित कर दिया। मध्य प्रदेश में सप्ताह में केवल 4 दिन- सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शनिवार को टीके लगाए जाते हैं।

इसमें कोई शक नहीं है कि वैक्सीनेशन प्रोग्राम में मिसमैनेजमेंट हुआ है। लोगों को वैक्सीनेशन के बारे में उचित सूचना देकर ऐसी भीड़ से बचा जा सकता था। जब हमारे भोपाल के रिपोर्टर अनुराग अमिताभ ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी से बात की, तो उन्होंने कहा कि यह मिसमैनेजमेंट नहीं था, बल्कि लोगों का वैक्सीनेशन के प्रति उत्साह था, और इसमें कोई बुरी बात नहीं है।

मुंबई के भी कई टीकाकरण केंद्रों पर भीड़ देखी जा रही है। मुंबई के गोरेगांव में नेस्को टीकाकरण केंद्र पर लोग सुबह 6 बजे से लाइनों में खड़े नजर आए। इनमें वरिष्ठ नागरिक भी शामिल थे। अधिकांश लोगों ने कहा कि सेंटर से उन्हें किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई।

केंद्र सरकार राज्यों को वैक्सीन दे रही है, लेकिन वैक्सीनेशन सेंटर्स पर भीड़ न हो, अफरा-तफरी न हो, ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। मिसमैनेजमेंट मध्य प्रदेश में हो या फिर महाराष्ट्र में, इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है। भारत जैसे विशाल देश में भीड़भाड़ की ऐसी घटनाएं होती रहती हैं।

यह याद रखना चाहिए कि अमेरिका ने भारत से काफी पहले अपना टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया था, लेकिन आज वह हमसे पीछे है। भारत में 34.46 करोड़ डोज लगाए जा चुके हैं जबकि अमेरिका में अब तक वैक्सीन के 32.80 करोड़ डोज दिए गए हैं। 10.27 करोड़ डोज के साथ ब्राजील तीसरे नंबर पर आता है। यूके में 7.79 डोज दिए गए, जबकि जर्मनी में 7.48 डोज लगाए जा चुके हैं। फ्रांस में अब तक 5.44 करोड़ डोज लगाए गए हैं, जबकि इटली में यह संख्या 5.21 करोड़ है।

बेशक, इन देशों की आबादी हमारे देश से कई गुना कम है और इनके स्वास्थ्य संसाधन हमसे कई गुना ज्यादा हैं, इसके बावजूद हमारे देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार इन देशों से ज्यादा है। यह प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व की बात है।

यह सच है कि तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए लोगों में वैक्सीन की डोज की काफी डिमांड है। लेकिन यह याद रखना चाहिए कि वैक्सीन न तो बीजेपी बना सकती है और न कांग्रेस, न तो इसे योगी आदित्यनाथ बना सकते हैं और न ही कैप्टन अमरिंदर सिंह। वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बायोटेक और डॉ. रेड्डी लैबोरेट्रीज में बनाई जा रही है।

सरकारों का काम वैक्सीन की खरीद करना, अच्छी तरह कोल्ड चेन मैनेजमेंट करना और यह देखना है कि लोगों को सही तरीके से इसकी डोज लगे। जब केंद्र जुलाई में 12 करोड़ डोज या अगस्त से एक दिन में एक करोड़ डोज उपलब्ध कराने की बात कहता है, तो यह ज्यादातर इस बात पर निर्भर करता है कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां अपने वादे पर कितना कायम रहती हैं। अगर वैक्सीन का स्टॉक बेकार पड़ा होता और जनता तक नहीं पहुंच रहा होता, तो सरकार को दोषी ठहराया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं है।

लेकिन हमारे यहां वैक्सीन पहले दिन से ही सियासत का मुद्दा बनी हुई है। कांग्रेस ने पहले कोवैक्सीन का विरोध किया था, तब इसकी एफिकेसी को लेकर लोगों के मन में भ्रम पैदा हुआ। जब इस आरोप से कुछ नहीं हुआ तो कहा कि वैक्सीन की खरीद को डिसेंट्रलाइज करना चाहिए। कांग्रेस ने मांग की कि राज्य सरकारों को टीके खरीदने की आजादी दी जानी चाहिए, लेकिन भारत और विदेश, दोनों ही जगहों की वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों ने राज्यों के साथ सौदा करने से इनकार कर दिया। इसके बाद कांग्रेस ने यूटर्न लिया और कहा कि केंद्र सरकार वैक्सीन खरीदे और राज्यों उपलब्ध करवाए। बीजेपी के नेताओं ने भी इस मामले में सियासत की। उन्होंने गिनवाया कि कांग्रेस के शासन वाले राज्यों में वैक्सीन बर्बाद हुई या फिर प्राइवेट अस्पतालों को ज्यादा कीमत लेकर बेच दी गई।

मुझे लगता है कि वैक्सीन को लेकर सियासत नहीं होनी चाहिए। सभी पार्टियों के नेताओं को एक स्वर में लोगों को बताना चाहिए कि जैसे-जैसे प्रोडक्शन होगा या वैक्सीन का आयात किया जाएगा, वैसे-वैसे लोगों को वैक्सीन लगती जाएगी।

भारत जैसे विशाल देश में एक हफ्ते, एक पखवाड़े या एक महीने के अंदर सभी को वैक्सीन लगाने का राष्ट्रव्यापी अभियान चलाना मुमकिन नहीं है। कोविशील्ड और कोवैक्सिन का उत्पादन करने वाली कंपनियों द्वारा दिए गए आंकड़ों के आधार पर ऐसी उम्मीद है इस साल के आखिर तक देश की 70 फीसदी आबादी को वैक्सीन की दो-दो डोज लग जाएंगी। यदि हम इसमें आयात किए जाने वाले कोविड टीकों के आंकड़े को जोड़ दें, तो देश में टीकाकरण अभियान में तेजी आ सकती है।

राजनीतिक नोकझोंक में लगे रहना एक बात है, लेकिन इस बात का पता लगाया जाना चाहिए कि अफवाहों या वैक्सीन के बारे में इन्फॉर्मेशन न होने के चलते वैक्सीनेशन सेंटर्स पर लोगों की भारी भीड़ क्यों उमड़ी। अफवाहों के कारण अभी भी लोगों की एक बड़ी संख्या कोरना की वैक्सीन को शक की नजर से देखती है। पब्लिक लाइफ में रहने वाले लोगों जैसे कि राजनेताओं, धर्मगुरुओं, विद्वानों और यहां तक कि फिल्मी सितारों की यह जिम्मेदारी है कि वे आगे आएं और लोगों को बताएं कि सभी टीके सुरक्षित हैं और उन्हें किसी भी प्रकार का डर अपने मन में नहीं रखना चाहिए। ऐसा होने पर ही हम मिलकर महामारी को हरा सकते हैं।

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Keep vaccination issue away from politics

akb fullEven as the second wave of pandemic has declined to a large extent across India, political sabre-rattling continues over the vital issue of Covid-19 vaccination. On Friday, Congress leader Rahul Gandhi tweeted in Hindi saying “July aa gaya hai, vaccine nahin aayi”. On Saturday, he posted another tweet with a graph saying “Mind the gap! #WhereAreVaccines”. The graph that he posted showed, India is 27 per cent below the target as far as cumulative vaccination is concerned. The graph pointed out, there were only 50.8 lakh vaccines given per day on average, while the daily vaccination target set to avoid a third wave was 69.5 lakh per day.

Union Health Minister Dr Harsh Vardhan was the first to retort strongly on Twitter. He wrote: “Just yesterday, I put out facts on vaccine availability for the month of July. What is @RahulGandhi Ji’s problem? Does he not read? Does he not understand? There is no vaccine for the virus of arrogance and ignorance!! @INCIndia must think of a leadership overhaul”.

Railway Minister Piyush Goyal reacted: “Rahul Gandhi ko apni party ka White Paper kude me daalna tha, uski bajaay Congress Sarkar ne vaccine ko kude me phenk diya. Punjab wa Rajaasthan Corona se kamai kar rahe hain. Rajasthan me mritakon ki sankhya chhupayi, Bhram aur panic phailakar ye log bhrashtachar karte hain.” (Rahul Gandhi wanted to throw his party’s white paper into dustbin, but Congress governments are throwing vaccines into waste bin. Punjab and Rajasthangovernments are making money through Corona. Rajasthan govt hid the true number of Covid deaths, they are indulging in corruption by spreading confusion and panic)

Information and Broadcasting Minister Prakash Javadekar replied to Rahul Gandhi on Twitter saying: “35 crore Indians have already taken their vaccines, Don’t know whether you have taken the vaccine or not?”

Rahul Gandhi has this ‘shoot-and-scoot’ habit of levelling a charge against Prime Minister Narendra Modi on social media, and normally Union ministers avoid reacting to his charges. But when Rahul questioned the government on the issue of vaccination, three union ministers retorted sharply. On Friday, BJP spokesperson Gaurav Bhatia told the media that for the last 11 days, 62 lakh people have been vaccinated on average, but Rahul Gandhi has ignored this fact because of his blind opposition to Modi government.

BJP leaders claim that 34 crore Indians have been vaccinated so far, but Congress has alleged that barely six crore Indians have got their double doses. They say this is hardly 5 to 6 per cent of the entire population. BJP leaders say that if one goes by percentage, one should look at statistics of how many percent of population in India and USA were infected and what percentage of people died due to Covid-19.

The man on the street wants to know whether there is any real shortage of vaccines? By what time, most of the Indians will be vaccinated? Let me place some facts, which neither Rahul Gandhi nor any other opposition leader can deny.

Fact number one: India has become the No. 1 country in the world with the largest number of 34.46 crore doses administered so far, whereas in the USA, 32.8 crore doses have been administered till now.

Fact number two: In the 45-plus age group, 19.91 crore people have got their vaccine dose, while in the 18 to 44 age group, 9.65 crore doses have been administered in India, 2.71 crore doses have been administered to our frontline workers, out of which 1.71 crore health care workers have got their vaccine dose.

Fact number three: Till July 2, a total number of 34 crore 46 lakh 11,291 vaccine doses have been administered in India. On July 1 alone, 42,64,123 doses were administered.

The Centre has promised to provide 12 crore doses during July, and the state governments have been informed about this well in advance, almost two weeks ago. 44.90 lakh doses will reach the states in the next three days. This is apart from the number of vaccine doses provided to private hospitals.The numbers clearly show that there is no shortage of vaccines in India presently.

Several state governments are also actively engaged in administering vaccine doses. Maharashtra is on top having administered 3.29 crore doses, next comes Uttar Pradesh which has administered 3.19 crore doses so far, third comes Gujarat with 2.61 crore doses administered till now. Madhya Pradesh comes after Rajasthan, Karnataka and West Bengal. In MP, 2.13 crore doses have been administered.

In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Friday night, we showed visuals of how a 1000-strong crowd of villagers descended on a vaccination centre nar Chhindwara in Madhya Pradesh, where only 250 doses were available. There was a near stampede and police had to be called in. Similar crowd was witnessed in Agar Malwa town on MP.

Based on these two visuals of crowds, the state Congress alleged that the state government has failed in managing its vaccination programme. Vaccines are administered on only four days in a week – Monday, Wednesday, Thursday and Saturday.

There is no doubt that there has been mismanagement in the vaccination programme. Such crowds could have been avoided through a proper information drive. When our Bhopal reporter Anurag Amitabh spoke to the state health minister Prabhuram Chowdhury, he said, this was not mismanagement, but this is proof that there is much enthusiasm among the people about vaccines.

Crowds are also being witnessed at several vaccination centres in Mumbai too. At the Nesco vaccination centre in Mumbai’s Goregaon, people were seen standing in queues since 6 am. These included senior citizens too. Most of the people said there was complete lack of information about vaccines.

The Centre is supplying vaccine stocks to the states, but the task of ensuring proper management of crowds at vaccination centres rests on state governments, whether in MP or Maharashtra. There is no point blaming the Centre for gross mismanagement by state governments. In a vast country like India, such instances of overcrowding do happen.

One must remember that the USA had started its vaccination drive much ahead of India, but it is number two in the list, whereas India tops the list of people vaccinated. While 34.46 crore doses have been given in India, 32.8 crore doses have been given in USA till now. Brazil comes third with 10.27 crore doses administered. In UK, 7.79 doses were administered, while in Germany 7.48 doses have been given. In France, 5.44 crore doses have been administered till now. In Italy, the number is 5.21 crore.

Of course, the population of these European countries are much less compared to India, and they have vast health care resources, and yet, in India, we have speeded up our vaccination drive. This should be a matter of pride for all Indians.

It is true that there is much demand for vaccine doses among people because of the danger of a third wave. But one must remember that vaccines are not manufactured either by the BJP, or the Congress, either by Yogi Adityanath or by Capt. Amarinder Singh. Vaccines are being manufactured in Serum Institute of India, Bharat Biotech and Dr. Reddy Laboratories.

The task of the government is to procure the stocks of vaccines, ensure proper cold chain management, and see that people get their doses in a proper and regulated manner, under medical supervision. When the Centre gives figures about providing 12 crore doses in July, or one crore doses a day from August, it depends mostly on how vaccine production companies stick to their promise. Had there been vaccine stocks lying idle and are not reaching the masses, the government could have been blamed, but this is not so.

But since Day One, there has been too much politics on the vaccine issue. The Congress first questioned the efficacy of indigenously manufactured Covaxin and when this charge failed to stick, it demanded decentralization in procurement of vaccines. Congress demanded that state governments should be given the freedom to procure vaccines, but manufacturing companies, both in India and abroad, refused to deal with states. The Congress then did a U-turn and agreed to the Centre procuring the vaccines and supplying them to states for administering the doses. BJP leaders too indulged in politicizing matters, when they alleged that vaccines were being wasted in Congress-ruled states or being sold at higher rates to private hospitals.

I feel that we should keep the vaccine issue away from politics. Leaders of all parties should tell the people that as and when manufacturing and import of Covid vaccines improve, vaccine doses will be given to them.

In a vast country like India with diverse features, it is impossible to carry out a nationwide drive in administering vaccines to all within a week, a fortnight or within a month. Based on figures given by companies producing Covishield and Covaxin, nearly 70 per cent Indians will be hopefully vaccinated with double doses by the end of this year. If we add the figures of Covid vaccines that will be imported, the speed of vaccination drive may pick up.

To engage in political sabre-rattling is one thing, but one should find out why rumours or lack of proper information about vaccines led to huge crowds descending at vaccination centres. There is still a large section of people who still view these vaccines with suspicion, due to rumour mongering. It is the responsibility of those in public life like politicians, religious gurus, scholars and even film stars to come forward and tell the people that all the vaccines are safe and they should not fear. Only then can we collectively defeat the scourge of the pandemic.

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बैंक खातों से पैसे उड़ाने वाले ठगों से सावधान रहें

AKB30 आज मैं आप सभी को साइबर फ्रॉड करने वाले गिरोहों से सावधान करना चाहता हूं। ये गिरोह बैंक अधिकारी बनकर लोगों के बैंक खातों से पैसे उड़ा लेते हैं। इन गिरोहों ने हाल के महीनों में हजारों ग्राहकों के बैंक खातों से करोड़ों रुपयों की चोरी की है। ज्यादातर पीड़ितों को उनका पैसा कभी वापस नहीं मिल पाता और अधिकांश मामलों में पुलिस जालसाजों को पकड़ने में नाकाम रहती है। इंडिया टीवी के पास दर्शकों के सैकड़ों फोन कॉल रोजाना आते हैं जिनमें लोग बताते हैं कि कैसे ऑनलाइन धोखाधड़ी के जरिए उनकी गाढ़ी कमाई लूट ली गई।

इन गैंग्स का जालसाजी करने का तरीका बेहद आसान है: वे बैंक एग्जेक्यूटिव बनकर ग्राहकों को फोन करके कहते हैं कि उनके बैंक खातों को सस्पेंड कर दिया जाएगा या केवाईसी (Know Your Customer) वेरिफिकेशन न होने के चलते उनका एटीएम कार्ड ब्लॉक हो जाएगा। ये जालसाज ग्राहकों से उनके बैंक खातों का ब्यौरा, यहां तक कि ओटीपी (One Time Password) के बारे में सारी जानकारी ले लेंगे और फिर मिनटों के अंदर हजारों, लाखों रुपये बैंक खातों से ऑनलाइन ट्रांसफर हो जाएंगे। बैंक एग्जेक्यूटिव बनकर ठगी को अंजाम देने वाले इन धोखेबाजों से निपटने का एक ही तरीका है कि इनको चैलेंज किया जाए, और इन्हें फोन या संदिग्ध ईमेल लिंक्स पर किसी भी तरह की जानकारी न दी जाए।

बीते कुछ महीनों में 10 राज्यों की पुलिस ने कई बार झारखंड में जामताड़ा नाम के एक कस्बे का दौरा किया है। ये गिरोह यहीं से अपना कामकाज करते हैं। भोपाल साइबर क्राइम सेल के अधिकारियों ने मंगलवार को ऐसे ही एक गैंग के 5 लोगों को मध्य प्रदेश की राजधानी से लगभग 1,500 किलोमीटर दूर जामताड़ा से गिरफ्तार किया। इन पांचों जालसाजों ने KYC डिटेल्स अपडेट करने के नाम पर एक रिटायर्ड BHEL अधिकारी के बैंक अकाउंट से 10 लाख 40 हजार रुपये निकाल लिए थे।

यह तो इस गिरोह के कारनामों की एक झलक भर है। पुलिस के मुताबिक, पांचों आरोपियों के पास से जो बैंक स्टेटमेंट जब्त किए गए हैं उन्हें खंगालने से ऐसा लगता है कि इस गिरोह ने करीब 1,000 लोगों के अकाउंट्स से 10 करोड़ रुपये की ठगी की है। इस गैंग के मेंबर्स झारखंड-पश्चिम बंगाल की सीमा पर बने आलीशान घरों में रहते हैं। इन इमारतों में अत्याधुनिक अलार्म, सेंसर-बेस्ड दरवाजे और वॉयस कमांड लाइट सिस्टम जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। पुलिस ने कहा कि इस गिरोह ने उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र समेत कई अन्य राज्यों में कई हजार बैंक ग्राहकों को ठगा है।

भोपाल के हमारे रिपोर्टर अनुराग अमिताभ ने BHEL के रिटायर्ड अधिकारी देवनाथ पाठक से बात की, जिन्होंने विस्तार से बताया कि उनके साथ क्या हुआ था। यह सारा खेल ग्राहक से OTP हासिल करने से शुरू होता है। एक बार जब गैंग के मेंबर को OTP मिल जाता है, तो अकाउंट से लिंक फोन नंबर को बदल दिया जाता है। इसके बाद ग्राहक के अकाउंट से सारे पैसे निकाल लिए जाते हैं, लेकिन इन ट्रांजैक्शंस का मैसेज दूसरे फोन नंबर पर जाता है। ऐसे में ग्राहक अंधेरे में ही रहता है और बैंक स्टेटमेंट के आने पर ही उसे ठगी के बारे में पता चलता है।

पुलिस के मुताबिक, गैंग के लोग फेसबुक प्रोफाइल के जरिए अपना शिकार चुनते हैं। या फिर ये लोग किसी भी कंपनी के मोबाइल नंबर्स की एक सीरीज को सेलेक्ट करते हैं, शुरू के 6 डिजिट उससे लेते हैं और आखिरी के 4 नंबर रेंडमली लगाते हैं। फिर वे बैंक एग्जेक्यूटिव बनकर ग्राहक को बताते हैं कि केवाईसी वेरिफिकेशन न करवाने के कारण उनका बैंक अकाउंट और ATM कार्ड ब्लॉक होने वाला है। देवनाथ पाठक के केस में उनके खाते से 27 बार 8 अलग-अलग बैंक खातों में पैसा भेजा गया, और ये सभी जामताड़ा में थे। भोपाल के पुलिसकर्मी जामताड़ा पहुंचे तो आदिवासियों ने अपने घरों से उनके ऊपर पत्थर फेंककर उनका स्वागत किया।

आखिरकार इन 5 जालसाजों के पास से एक एसयूवी, 13 सेल फोन, 11 एटीएम कार्ड और 50 जाली सिम कार्ड बरामद किए गए। गिरफ्तार किए गए सभी पाचों आरोपी झारखंड और पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के दूर-दराज के इलाकों के अलग-अलग गांवों में रह रहे थे। गिरफ्तार किए गए लोगों में जामताड़ा निवासी मोहम्मद इमरान अंसारी, पश्चिम बंगाल के चित्तरंजन का रहने वाला अभिषेक सिंह, पश्चिम बंगाल के आसनसोल के रहने वाले मोहम्मद अफजल एवं गुलाम मुस्तफा और पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले का निवासी संजू देबनाथ शामिल हैं।

2 लोगों को छोड़कर गैंग के अधिकांश मेंबर्स या तो अनपढ़ हैं या बहुत कम पढ़े-लिखे हैं। मोहम्मद अफजल कक्षा 3 तक पढ़ा है, वह बैंक अकाउंट्स और नकली सिम कार्ड की व्यवस्था करता था। उसका काम एटीएम से ठगी के पैसे निकालना भी था। गुलाम मुस्तफा 8वीं कक्षा तक पढ़ा है, वह फर्जी बैंक खाते खोलकर उन्हें ‘कमिशन’ पर बेचता था। संजू देबनाथ दूसरी कक्षा तक पढ़ा है, वह फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक अकाउंट्स खुलवाता था। इस गिरोह के मास्टरमाइंड मोहम्मद इमरान अंसारी ने दावा किया कि उसने बी.टेक. तक की पढ़ाई की है। बैंक अधिकारी बनकर वही ग्राहकों से बात करता था। अंसारी धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलता है और उसे बैंकों के कामकाज के बारे में अच्छी जानकारी है। वह ग्राहकों से ओटीपी हासिल करता था और इसे अपने गैंग के लोगों को अकाउंट्स से पैसे निकालने के लिए बढ़ा देता था। इस काम में उसकी मदद अभिषेक सिंह करता था। अभिषेक ने और जालसाजी को अंजाम देने के लिए वह ऑनलाइन बैंक खातों को ऐक्सेस करता था। उसे अफजल, गुलाम मुस्तफा और संजू देबनाथ फर्जी बैंक खाते उपलब्ध करवाते थे जिनमें ठगी के पैसे ट्रांसफर किए जाते थे।

इस गैंग के लोग जामताड़ा, आसनसोल और आसपास के इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को फर्जी बैंक अकाउंट्स खोलने के लिए राजी करते थे, और उसके लिए उन्हें हर महीने 10,000 से 15,000 रुपये दिए जाते थे। चूंकि इन आदिवासियों को आसानी से अच्छी कमाई हो जाती है, इसलिए जब भी पुलिस ठगों पकड़ने के लिए गांवों में पहुंचती है तो वे ठगों का बचाव करते हैं। आदिवासी महिलाएं पुलिस की टीम पर पथराव करती हैं और गैंग के लोग बच निकलते हैं। ऑनलाइन धोखाधड़ी करने वाले इस गैंग के लोगों की तलाश में कम से कम 10 राज्यों की पुलिस ने जामताड़ा के आसपास के 50 गांवों का दौरा किया है। नागालैंड के पुलिसकर्मियों की एक टीम हाल ही में जामताड़ा आई थी और गैंग के एक सदस्य को पकड़कर अपने साथ ले गई थी। केरल की एक पुलिस टीम भी उस गैंग के लोगों की तलाश में आई थी, जिसने राज्य की एक महिला से ठगी की थी।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि झारखंड के देवघर, गिरिडीह और धनबाद जैसे जिलों में भी साइबर क्रिमिनल्स ऐक्टिव हैं। कुछ मामलों में जालसाज फोन कॉल करने के बजाय केवाईसी अपडेट करने के लिए ग्राहकों के फोन नंबरों पर लिंक भेजते हैं। कुछ ठगों ने तो कोरोना काल में कोविड-19 की वैक्सीन बुक कराने के नाम पर भी लोगों से पैसे ऐंठ लिए। पुलिस का कहना है कि ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब दूसरे राज्यों की पुलिस या फिर बाकी जांच एजेंसियों के अफसर साइबर क्राइम के सिलसिले में जामताड़ा या आसपास के इलाकों में विजिट ना करते हों। पुलिस अफसरों का कहना है कि जामताड़ा ही साइबर क्राइम का सबसे पहला एपिसेंटर है। पांडेडीह, झुलवा, कालाझरिया, दुधानी मटर, खेरकोकुंडी, मोहनपुर, टोपाटार जैसे गांव उन लगभग 50 गांवों में शामिल हैं जहां से ऑनलाइन साइबर क्राइम को अंजाम दिए जाने के बारे में पता चला है।

साइबर फ्रॉड क्राइम पर पुलिस के आंकड़े डराने वाले हैं। हमारे देश में औसतन इस तरह की ठगी के 3,137 मामले हर रोज हो रहे हैं। कोरोना काल में डिजिटल ट्रांजैक्शन्स में 41 प्रतिशत तक बढ़े हैं और इसके साथ-साथ साइबर ठगी के मामलों में भी 28 पर्सेंट की बढ़ोत्तरी हुई है। करीब 25 हजार करोड़ रुपये की साइबर ठगी की गई है। सिर्फ 2019 में ही साइबर क्राइम के कारण देश को सवा लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अकेले दिल्ली पुलिस ने कोरोना काल में साइबर ठगी के मामलों में 214 बैंक अकाउंट सीज किए हैं, 900 फोन जब्त किए हैं और 91 लोगों को जेल पहुंचाया है।

मैं आप सभी से अपील करता हूं कि आप अपने बैंक खातों के बारे में कोई भी ब्यौरा दूसरों से शेयर न करें, चाहे फोन पर हो या इंटरनेट पर । साइबर ठगों का गिरोह काफी सक्रिय है। जब भी आपके पास ऐसे फोन कॉल आएं, तो इस बात को हमेशा याद रखें: कोई भी बैंक आपसे कभी भी फोन, मेल या इंटरनेट पर आपके खातों के ब्यौरे नहीं मांगता। इन सब चीजों को हैंडल करना का बैंक का अपना तरीका होता है।

ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि जालसाजों से डरकर, साइबर क्राइम से डरकर आप डिजिटल बैंक ट्रांजैक्शन ही बंद कर दें। महामारी और लगातार लॉकडाउन लागू होने के कारण, डिजिटल बैंक ट्रांजैक्शन सबसे तेज और सबसे सुरक्षित तरीका रहा है, लेकिन कभी भी अपना ओटीपी किसी और के साथ शेयर न करें। अपने फोन पर या अपने ई-मेल में आए हुए OTP को डिलीट कर दें, भले ही वे सिर्फ कुछ सेकंड के लिए ही क्यों न होते हों।

भारत में बैंकिंग की तस्वीर पिछले 6 सालों में डिजिटल ट्रांजैक्शन के कारण काफी बदल गई है। खास तौर से पिछले डेढ साल में, कोरोना के कारण जब सारे लोग मुसीबत में थे, तब डिजिटल इंडिया बहुत काम आया। कल्पना कीजिए कि लोगों के ऊपर क्या बीतती, अगर लॉकडाउन के दौरान डिजिटल बैंकिंग मनी ट्रांसफर की सुविधा न होती। अगर डिजिटाइजेशन न हुआ होता तो कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई कमजोर पड़ सकती थी। इसलिए जब भी कोई फोन पर या ईमेल पर आपसे संपर्क करके खुद को बैंक अधिकारी बताए, तो उससे डील करते समय सावधानी बरतें ।

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Beware of banking cyber frauds

akb full_frame_60183Today I want to caution all of you about cyber fraud gangs who are stealing money from bank accounts by posing as bank executives. These gangs have stolen crores of rupees from bank accounts of thousands of customers in recent months. Most of the victims ultimately fail to get their money back and in most of the cases, police are unable to catch the fraudsters. At India TV, we get hundreds of phone calls daily from viewers who narrate how they were swindled out of their hard earned savings through online fraud.

The modus operandi of these gangs are simple: they pose as bank executives and call customers to tell them their bank accounts may be suspended or their ATM cards would be blocked because of lack of KYC (Know Your Customer) verification. These fraudsters get all details from customers about their bank accounts, and even the OTP (one time password), and within minutes, thousands and lakhs of rupees are transferred online from bank accounts. The only prevention is to challenge these fraudsters who pose as bank executives, and refuse to give them any details either on phone, or on suspected mail links.

In recent months, police from ten states have visited a relatively unknown place called Jamtara in Jharkhand, from where most of these gangs operate. On Tuesday, Bhopal Cyber Crime Cell officials arrested five persons of such a gang from Jamtara, nearly 1,500 kilometres away from the Madhya Pradesh capital. The five fraudsters had siphoned off Rs 10.40 lakhs from the bank account of a retired BHEL officer on the pretext of updating his KYC details.

This was only the tip of the iceberg. According to police, by going through the seized bank statements of the five accused, it appears that this gang has swindled nearly 1,000 bank customers to the tune of Rs 10 crore. The gang members live in luxurious houses built on Jharkhand-West Bengal border. These buildings have sophisticated alarms, sensor-based doors, and voice command light systems. This gang has duped several thousand bank customers in UP, Delhi, MP, Maharashtra and other states, police said.

Our Bhopal reporter Anurag Amitabh spoke to the retired BHEL officer Devnath Pathak, who narrated his ordeal. The trick lies in getting the OTP from the customer. Once the gang member gets the OTP, the link phone number is changed and all withdrawals take place from the customer’s account, but these are notified to another phone number. The customer remains in the dark and only when the bank statement arrives, he gets to know about the swindle.

According to police, these gang members target their preys by going through Facebook profiles. They also randomly select phone numbers from cellphone data. They then pose as bank executive and tell the customer that his bank account and ATM card is going to be suspended because of lack of KYC verification. In Devnath Pathak’s case, the money was diverted from his account 27 times to eight different bank accounts, all based in Jamtara. When the Bhopal policemen landed in Jamtara, they were greeted with stones thrown from houses of tribals.

Finally, an SUV, 13 cell phones, 11 ATM cards, and 50 forged SIM cards were seized from these five fraudsters. All the five arrested stayed in different villages in far-off areas of Jharkhand and neighbouring West Bengal. Those arrested included Mohammed Imran Ansari, resident of Jamtara, Abhishek Singh, resident of Chittaranjan, WB, Mohammed Afzal and Ghulam Mustafa, both residents of Asansol, WB, and Sanju Debnath a resident of 24-Parganas, West Bengal.

Except two, most of the gang members are illiterate or semi-literate. Mohammed Afzal is a Class 3 dropout, he used to arrange bank accounts and fake SIM cards. He also used to collect swindled money from ATMs. Ghulam Mustafa is a Class 8 dropout, he used to open fake bank accounts and sell them on ‘commission’. Sanju Debnath is a Class 2 dropout, he used to get bank accounts opened based on fake documents. The mastermind of the gang is Mohammed Imran Ansari, who claims to be a B. Tech. He used to speak to customers posing as bank executive. Ansari speaks fluent English and is well versed with banking procedures. He used to get OTPs from customers and pass it on to gang members to swindle money from accounts. He was helped by Abhishek Singh, who has studied law, and used to access bank accounts online to carry out fraud. He used to get the fake bank accounts from Afzal, Ghulam Mustafa and Sanju Debnath, to which swindled money was transferred.

The gang members used to persuade tribals living in Jamtara, Asansol and nearby areas to open fake bank accounts, for which they were paid Rs 10,000 to 15,000 every month. Since these tribals earned easy money, they helped gang members to escape whenever police parties land in villages to nab them. Tribal women throw stones at police parties and the gang members take the cue to escape. Police parties from at least ten states have visited the 50-odd villages around Jamtara in search of online fraud gang members. A team of Nagaland policemen recently came to Jamtara and took away a gang member with them. A police team from Kerala also came in search of gang members who swindled a woman from the southern state.

Senior police officers say, cyber criminal gangs are active in Giridih, Dhanbad and Deoghar, all in Jharkhand. In some cases, the fraudsters, instead of making phone calls, send links to the phone numbers of customers for KYC updation. Some fraudsters even extort money from people by promising them to send them Covid-19 vaccines. Jamtara is however the ‘epicentre’ of such online fraud activities. Villages like Pandeydih, Jhulwa, Kalajharia, Dudhani Mattar, Kherkokundi, Mohanpur, Topatar are among the nearly 50 villages from where online cyber crime activities have been reported.

Police statistics on cyber fraud crimes are frightening. On an average, every day 3,137 cases of fraud are reported. Since online digital banking transactions have increased due to Covid-19 pandemic, there has been a 41 per cent jump in such fraud cases. Cyber frauds have taken place to the tune of Rs 25,000 crore. In 2019 alone, people lost Rs 1.25 lakh crore due to online cyber frauds. Delhi Police seized 214 bank accounts, nearly 900 cell phones and arrested 91 persons on charges of cyber fraud during the pandemic year.

I would appeal to all of you to be careful while dealing with your bank accounts, whether on phone or on internet. There are cyber sharks lurking nearby. Whenever you get such phone calls, remember: None of the banks ever seek your account details over phone, mail or internet. They have they own method of handling such issues.

Out of fear of cyber frauds, you need not discontinue digital bank transactions. Due to pandemic and frequent lockdowns, digital bank transaction has been the fastest and safest method, but never share your OTP with others. Delete the OTP that you get on your phone or in your e-mail, even though they hardly last for a few seconds.

The banking universe in India has been transformed in the last six years due to mass scale digital transactions, more so in the last one and a half year, when the Covid-19 pandemic outbreak took place. Imagine what people would have gone through, had there been no digital banking money transfer facility during lockdown. Had there been no digitization, our battle against Covid pandemic could have been weaker. Be careful when you deal with people who pose as bank executives, either on phone or on your mail.

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कैसे छल और कपट के जरिए किशोरों को बनाया जा रहा है मुसलमान

AKB30 पिछले कुछ दिनों से हमें एक ऐसे इंटरनेशनल गैंग के बारे में काफी खबरें पढ़ने को मिल रही हैं जो मूक एवं बधिर बच्चों को अवैध रूप से इस्लाम कुबूल करवाता था। उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने इस मामले में अब तक 6 गिरफ्तारियां की हैं। आखिरी गिरफ्तारी बुधवार को सलाहुद्दीन शेख की हुई जिसे गुजरात के अहमदाबाद से गिरफ्तार किया गया। इससे पहले ATS ने दिल्ली के जामिया नगर से 2 मौलवियों, मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी और उमर गौतम को गिरफ्तार किया था। ये दोनों इस्लामिक दावा केंद्र नाम के एक ऐसे संगठन के लिए काम कर रहे थे, जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से फंडिंग होती रही है। सलाहुद्दीन ने माना है कि वह खाड़ी देशों से आए हुए पैसों को हवाला के जरिए उमर गौतम को भेजता था।

आतंक और धर्म परिवर्तन की बात छोड़ भी दें, तो एक बार उन मां-बाप के बारे में भी सोचिए जिन्हें अचानक पता चलता है कि उनके बच्चों ने कोई दूसरा धर्म कुबूल कर लिया है। बुधवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया था कि कैसे एक मध्यमवर्गीय परिवार की सदस्य आपबीती सुना रही थीं। उन्होंने बताया कि जब उन्हें पता चला कि नोएडा में उनके पड़ोस में रहने वाली एक महिला ने उनके 17 साल के बेटे को इस्लाम कुबूल करवा दिया, तब उनके ऊपर क्या बीती थी।

मां-बाप अपने बेटे दर्श सक्सेना को अक्सर कंप्यूटर पर काम करते हुए देखते थे, लेकिन उन्होंने कभी यह जानने की कोशिश नहीं की कि वह किससे बात करता है, या किसके संपर्क में है। 3 साल पहले दर्श अपने घर से गायब हो गया, और उसके मां-बाप को बाद में पता चला कि उसने अपना नाम रेहान अंसारी रख लिया है। उसने इस्लाम कुबूल कर लिया था। परिवार को लोगों को अभी भी पता नहीं है कि दर्श कहां है। मई 2018 से ही वह अपने परिवार के संपर्क में नहीं है।

दर्श की मां शिवानी सक्सेना ने बताया कि कैसे वह और उनके पति उसे सोशल मीडिया पर किसी ‘दीदी’ के साथ चैटिंग में मशगूल पाते थे, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि ‘दीदी’ उनके बच्चे को धर्म परिवर्तन का पाठ पढ़ा रही थी। उसकी मां ने बाद में पता चला कि दर्श अपने बैग में टोपी छुपाकर रखता था। उन्हें यह भी मालूम चला कि वह चुपके से मस्जिद में नमाज पढ़ने जाता था। और फिर एक दिन उनका लड़का घर छोड़कर चला गया।

यह भारत के अंदरूनी इलाकों के किसी दूर-दराज के गांव की घटना नहीं है। यह घटना हाई-टेक शहर नोएडा के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुई है जिसकी पहुंच इंटरनेट और सोशल मीडिया तक है। मैंने जब दर्श की मां का दर्द सुना तो लगा कि इसे दर्शकों के साथ शेयर करना जरूरी है क्योंकि वह और उनके पति अभी भी अपने बेटे के घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं। दर्श की मां ने कहा कि उनका और उनके पति का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने अपने बच्चे पर पूरा यकीन किया। उन्होंने कभी भी उसके सोशल मीडिया कॉन्टैक्ट्स को चेक नहीं किया और न ही इस बात पर नजर रखी कि वह किससे चैटिंग करता रहता है। दरअसल, दर्श अपने कंप्यूटर पर ऑनलाइन इस्लाम का पाठ ले रहा था और ‘दीदी’ उसे नमाज पढ़ने और इस्लाम कुबूल करने के फायदे सिखा रही थी। बाद में पता चला कि वह जिस ‘दीदी’ के संपर्क में था, वह उनके पड़ोस में ही रहने वाली एक महिला थी।

इसी तरह की एक और घटना में मोहम्मद उमर गौतम ने एक मूक-बधिर बच्चे राहुल भोला को इस्लाम कुबूल करवाया था। उमर गौतम ने बाद में राहुल भोला को भी कन्वर्जन के काम में लगा दिया। राहुल भोला दूसरे मूक-बधिर बच्चों से बात करता था और उन्हें इस्लाम कुबूल करने के लिए राजी करता था। जब हमारे रिपोर्टर ने राहुल भोला के परिवार से बात की तो उन्होंने बताया कि राहुल अपने बैग में टोपियां रखता था और चुपके से नमाज पढ़ने जाया करता था। राहुल भोला के बैग से कुछ इस्लामिक साहित्य भी मिला था, लेकिन उस समय उनके परिवार ने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

राहुल भोला अगर एक नॉर्मल बच्चा होता और मुसलमान बन जाता तो शायद किसी को कोई शिकायत नहीं होती। यदि दर्श सक्सेना बालिग होता और अपनी मर्जी से इस्लाम कुबूल कर लेता तो कानून की नजर में यह अपराध न होता। दर्श के मां-बाप चाहे कितना भी रोते-चिल्लाते, कोई कुछ नहीं कर पाता। लेकिन जब दर्श ने अपना धर्म छोड़कर इस्लाम कुबूल किया तब उनकी उम्र 17 साल थी। इसी तरह एक मूक-बधिर दिव्यांग, जो वयस्क भी नहीं हुआ है, को दूसरा धर्म कुबूल करवाना कानून की नजर में अपराध है। किसी व्यक्ति का प्रलोभन, धमकी या धोखाधड़ी के जरिए धर्मांतरण करना धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत एक अपराध है।

मुझे 2016 का एक केस याद है जब केरल के 21 नौजवान अचानक अपना घर छोड़कर अफगानिस्तान चले गए थे। उन्हें ISIS ने अमेरिका के खिलाफ अपनी जंग में शामिल किया था। हैरान करने वाली बात यह थी कि इन 21 लोगों में से ज्यादातर कन्वर्टेड मुस्लिम थे, कोई हिंदू से मुसलमान बना था तो कोई ईसाई धर्म छोड़कर आया था। उस समय निमिषा नाम की एक डेंटिस्ट का नाम भी काफी चर्चा में आया था। निमिषा ने पहले एक ईसाई से शादी की, और बाद में उसके पति ने उससे इस्लाम कुबूल करवा लिया। निमिषा और उनके पति दोनों अफगानिस्तान पहुंच गए। उसके परिवार को इस बारे में तब पता चला जब निमिषा ने अपने नवजात बच्चे की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की। इसके बाद निमिषा की मां ने दिल्ली आकर तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह से अपनी बेटी को अफगानिस्तान से वापस लाने की गुहार लगाई थी, लेकिन सरकार बेबस थी। निमिषा एक वयस्क थी, उसने अपनी मर्जी से शादी की थी और इस्लाम कुबूल किया था। सरकार के लिए उसे वापस ला पाना मुमकिन नहीं था।

लेकिन उत्तर प्रदेश में जो मामले सामने आए हैं, उनमें ज्यादातर या तो नाबालिग थे या फिर वे दिव्यांग युवा थे। अपने परिवार पर आश्रित युवाओं का धर्म परिवर्तन करना न सिर्फ कानून बल्कि मानवता के खिलाफ भी अपराध है। इन युवकों का शोषण किया गया और धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों ने इनकी कमजोरियों का नाजायज फायदा उठाया।

मैं दो संदेश देना चाहता हूं: एक तो माता-पिता को अपने बच्चों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है; और दूसरा, सभी मुस्लिम विद्वानों और मौलानाओं को इस तरह की घटनाओं पर विचार करना चाहिए क्योंकि छल, विश्वासघात और लालच का सहारा लेकर धर्मांतरण करने से इस्लाम की छवि खराब होती है।

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How teenagers are being converted to Islam through guile and treachery

akbFor the past few days, we have been reading news reports about an international gang illegally converting deaf and dumb children to Islam. The Anti Terrorism Squad (ATS) of Uttar Pradesh Police has so far made six arrests. The last arrest was made of one Salahuddin Sheikh from Ahmedabad, Gujarat on Wednesday. Earlier, the ATS had arrested two clerics Mufti Qazi Jahangir Alam Qasmi and Umar Gautam from Jamia Nagar, Delhi, who were working for Islamic Dawaah Centre, an outfit which has been getting funds from Pakistan’s spy agency ISI. Salahuddin has admitted that he used to send money received from Gulf through ‘hawala’ channels to Umar Gautam.

Terror and religious conversion issues apart, think about the parents who suddenly find their children being converted to another religion. In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Wednesday night, we showed how a middle class family member narrated her ordeal when she found that her 17-year-old son had been converted to Islam by a lady, who used to stay in their neighbourhood in Noida.

The parents found their son, Darsh Saxena, working on his computer regularly, but they never checked whom he was in contact with. Three years ago, the teenager left his home, and the parents later came to know that he had changed his name to Rehan Ansari. He had converted to Islam. The family members are still in the dark about Darsh’s whereabouts. He has been incommunicado with his family since May, 2018.

The teenager’s mother Shivani Saxena narrated how she and her husband used to find Darsh engrossed in chat with a ‘didi’ on social media, but, in reality, the ‘didi’ was teaching how to convert his religion. Her mother later found, Darsh used to hide his skullcap inside his school bag. She also found that he used to secretly go to the mosque to offer ‘namaaz’. And then one fine day, her boy left the home.

This is not an incident from a far-flung village in India’s village hinterland. This incident occurred in hi-tech city Noida in a middle class family with access to internet and social media. I wanted to share the mother’s ordeal with our viewers because she and her husband are still waiting for their son to return home. The mother admitted that she and her husband made the mistake of trusting Darsh completely. They never checked his social media contacts and never kept an eye on whom he was chatting with. In fact, Darsh was taking online Islamic classes on his computer, and the ‘didi’ was teaching her the benefits of offering ‘namaaz’ and accepting Islam. Later, it was found that the ‘didi’ he was in touch with was a lady staying in their neighbourhood.

In another instance, Mohammed Umar Gautam who had converted a deaf and dumb teenager Rahul Bhola to Islam, later engaged him as a proselytizer. Rahul Bhola used to ask other deaf and dumb children and persuade them to convert to Islam. When our reporter spoke to Rahul Bhola’s family, they revealed that Rahul used to carry the Islamic skull cap in his bag and go secretly to offer namaaz. Some Islamic literature were also found from his bag, but his family, at that time, did not take it as a serious issue.

Had Rahul Bhola been a normal adult and opted to convert to Islam, nobody should have any issue. Had Darsh Saxena been a consenting adult and had converted to Islam on his own accord, it would not have been considered illegal. No amount of protests from Darsh’s parents would have been taken cognizance of. But at the time of conversion, Darsh was not an adult, he was 17 years of age. Similarly, to convert a hearing and orally impaired teenager, who is not an adult, to a different religion is a crime as per law. To convert a person to a different religion through inducement, intimidation or cheating is a crime under anti-conversion law.

I remember a case in 2016 when 21 youths from Kerala suddenly left their homes and went to Afghanistan. They had been inducted by ISIS in its war against the US. Among those who were converted to Islam were Hindus and Christians. There was also a case of a dentist Nimisha, who married a Christian, and later the husband induced his wife to convert to Islam. Both Nimisha and her husband landed in Afghanistan. Her family came to know about this when Nimisha posted the picture of her child on social media. Nimisha’s mother came to Delhi and appealed to the then Home Minister Rajnath Singh to get her daughter back from Afghanistan. But the government was helpless. Nimisha was an adult, she had married out of her own volition and opted to convert to Islam. There was no way the government could arrange her repatriation.

But, in the cases that have been found in UP, most of those who were converted were either minors or physically challenged youths. To convert such youths, who are dependent on their families, is a crime, not only by law, but also a crime against humanity. These youths were exploited and the proselytizers took undue advantage of their weaknesses.

There are two messages that I would like to convey: One, to all parents, keep a strict watch on the movements of your children; and Two, to all Islamic clerics (maulanas), please introspect whether such conversions through guile, treachery and inducements are not bringing a bad name to Islam.

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