Rajat Sharma

समूचा देश टीम इंडिया के साथ

AKB30 विश्व कप में टीम इंडिया की हार हुए दो दिन बीत चुके हैं, पर सबके मन में हार की टीस अभी बाकी है. रविवार की रात को सब इतने स्तब्ध थे कि किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर करें, तो क्या करें, कहें तो क्या कहें? जो टीम विश्व कप में 10 के 10 मैच जीती, वो फाइनल में कैसे हार गई? बहुत सारी प्रतिक्रियाएं आई. शुभमन गिल ने ट्विटर पर लिखा कि 16 घंटे बीत गए पर अभी भी दिल में उतना ही दर्द है जितना कल रात को था. श्रेयस अय्यर ने लिखा कि हम सब अभी भी बहुत दुखी हैं, इस हार का दर्द बर्दाश्त से बाहर है. शायद इससे उबरने में बहुत वक्त लगेगा. इन दोनों बल्लेबाज़ों के लिए ये पहला विश्व कप था. सचिन तेंदुलकर ने लिखा कि मैं खिलाड़ियों का दर्द समझ सकता हूं, एक खराब दिन कितनी तकलीफ देगा, ये जानता हूं, पर खेल में हार-जीत होती रहती है, हमें ये याद रखना चाहिए कि टीम, पूरे टूर्नामेंट में कितना अच्छा खेली. असल में रविवार की रात को आखिरी पल तक लोगों को लगता था कि कोई चमत्कार होगा. पूरे टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ बैटिंग और सबसे उम्दा बॉलिंग करने वाली टीम फाइनल में कैसे हार सकती थी? कौन सोच सकता था कि जिस स्टेडियम में एक लाख 20 हजार लोगों से भरा हो, इंडिया, इंडिया के नारों से गूंज रहा हो, वहां ऐसा सन्नाटा पसर जाएगा? लेकिन ऐसा नहीं हो सकता कि जिस मैदान में मोदी हों वहां उनके विरोधी न कूदें. मोदी ने तो सिर्फ क्रिकेट की बात की, खेल के जज्बे के बात की, खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया, लेकिन मोदी के विरोधियों ने स्टेडियम में मौजूद मोदी के हर बात पर कमेंट किया. बहुत सारे वीडियो पोस्ट किए. बहुत सारे अशालीन कॉमेंट हुए. मैच के दौरान हुई दो घटनाओं का मैं जिक्र करूंगा. एक तो जब मैच चल रहा था मोदी स्टेडियम में बैठे थे, अमित शाह उनके साथ थे. जब कैमरा मोदी पर गया तो वो किसी बात पर हंस रहे थे. स्टेडियम में ‘मोदी मोदी’ के नारे भी गूंजे. मोदी ने हाथ हिलाया वहां मौजूद जनता को जवाब दिया. इसको लेकर खूब कमेंट किए गए. कहा गया कि भारत की टीम हार रही थी तो मोदी हंस रहे थे. मुझे लगता है ये कमेंट अनुचित थे क्योंकि उस वक्त मैच चल रहा था. भारतीय टीम पूरी ताकत लगाकर ऑस्ट्रेलिया का चौथा विकेट गिराने की कोशिश कर रही थी. ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाजों के लिए रन बनाना मुश्किल हो रहा था और दूसरी बात ये कि कोई ये सोच भी कैसे सकता है कि भारतीय टीम हारेगी और मोदी खुश होंगे. इसीलिए पूरी बात बेमानी है. मोदी राजस्थान में चुनाव प्रचार करने के बाद रविवार को विश्व कप का फाइनल देखने अहमदाबाद पहुंचे थे. जब पूरा देश टीम इंडिया की जीत के लिए जोश बढ़ा रहा था, तो प्रधानमंत्री भी टीम का हौसला बुलंद रखने के लिए स्टेडियम में पहुंचे. उनके साथ गृह मंत्री अमित शाह और गुजरात के राज्यपाल भी थे. मैच के दौरान, मोदी किसी बात पर हंसने लगे. लोगों ने उन्हें अभिवादन किया तो भी उन्होंने हाथ हिलाकर लोगों को जवाब दिया, लेकिन मैच ख़त्म होने के बाद, रोहित शर्मा के रोने और मोदी के हंसने की तस्वीरें जोड़कर सोशल मीडिया पर पोस्ट की गईं. ऐसा दिखाने की कोशिश की गई कि टीम इंडिया की हार से मोदी ख़ुश थे. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने तो ट्विटर पर पोस्ट लिखकर पूछा कि, आख़िर प्रधानमंत्री किस बात पर हंस रहे थे? दूसरा वीडियो आया जिसमें मोदी ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस को ट्रॉफी देने स्टेज पर जाते दिखाई दे रहे हैं और फिर दिखाया कि कैसे वो जल्दी से मंच छोड़ कर चले गए. लोगों ने लिखा, मोदी ने सही खेल भावना नहीं दिखाई, ऑस्ट्रेलिया के टीम के कप्तान को ठीक से बधाई नहीं दी. उन्हें स्टेज पर अकेला छोड़ दिया. ये भारतीय संस्कृति नहीं है, लेकिन जो दिखाया गया, वो आधा सच था. अगर आप पूरा वीडियो देखें तो उसमें दिखेगा, मोदी के साथ ऑस्ट्रेलिया के डिप्टी पीएम भी हैं. दोनों स्टेज पर गए. ऑस्ट्रेलिया के टीम के कप्तान को ट्रॉफी दी, हाथ मिलाया पैट कमिंस को बधाई दी और फिर लौटकर मोदी ऑस्ट्रेलिया के बाकी खिलाड़ियों से एक-एक कर मिले. सबको बधाई दी. दिखाने वालों ने वीडियो का ये हिस्सा गायब कर दिया. जब पूरा वीडियो सामने आया तो जो कमेंट्स किए गए थे, वे बेमतलब साबित हुए. प्रधानमंत्री ने वही किया, जो पूरे देश की भावना थी. पूरा देश विश्व कप के दौरान शानदार प्रदर्शन करने वाली टीम इंडिया के साथ खड़ा है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि कुछ नेताओं ने, कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इस मौके पर भी सियासत की. खेल भावना को किनारे रखकर टीम इंडिया की हार में मोदी पर हमले का मौका खोजा. इन नेताओं ने लिखा कि मोदी अगर स्टेडियम में न गये होते, तो टीम इंडिया जीत जाती. इतना ही नहीं, फाइनल के बाद पुरस्कार वितरण समारोह का एडिटेड वीडियो भी वायरल कर दिया गया. कहा गया कि मोदी ने जब ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस को वर्ल्ड कप की ट्रॉफी दी, तो उनसे हाथ तक नहीं मिलाया. बस ट्रॉफी पकड़ाई और चलते बने. मोदी और विश्व कप को लेकर राजनीति तभी शुरु हो गई थी कि जब ये खबर आई कि मोदी फाइनल देखने अहमदाबाद जाएंगे. चुनाव का दौर है. राजस्थान में अभी वोटिंग होनी है. कांग्रेस को लगा कि वो कहीं पीछे न रह जाए. इसीलिए सबसे पहले दो तस्वीरें जारी की गईं. एक में इंदिरा गांधी कपिल देव के साथ 1983 का विशव कप जीतने के बाद खड़े दिखाई दे रही हैं. दूसरी तस्वीर में डॉ. मनोमहन सिंह विश्व चैंपियन बनने के बाद महेंद्र सिंह धोनी के साथ खड़े हैं. इसके पीछे ये सोच थी, ये बताना कि जब कांग्रेस का राज था तब हम क्रिकेट में चैंपियन बने थे. फाइनल में टीम इंडिया हारी, तो फ़ौरन ही कुछ आंकड़ेबाज़ भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए. बताने लगे कि भारत ने 1983 में क्रिकेट का पहला विश्व कप तब जीता, जब कांग्रेस की सरकार थी. इंदिरा गांधी प्रधान मंत्री थीं. दूसरी बार भी जब भारत ने 2011 में वर्ल्ड कप जीता, तो कांग्रेस के डॉ. मनमोहन सिंह ही प्रधानमंत्री थे. यानि टीम की जीत का, खिलाड़ियों के परफॉर्मेंस का श्रेय कांग्रेस की सरकारों को और उस समय के प्रधानमंत्रियों को दिया जाने लगा. कुछ लोग सोशल मीडिया पर और भी आंकड़े निकाल लाए. कांग्रेस और मोदी की तुलना करने लगे. ये बताने की कोशिश की गई कि मोदी के राज में टीम इंडिया, ICC की एक भी ट्रॉफी नहीं जीत सकी. जो बात सोशल मीडिया पर लिखी जा रही थी, वही बात कांग्रेस के सांसद प्रमोद तिवारी ने राजस्थान की चुनावी सभा में कही. कहा, मोदी को, बीजेपी को सत्ता में लाना पनौती होगी. इंदिरा जी के प्रधानमंत्री रहते पहले भी भारत विश्व कप जीता था, अब फिर जीत होगी, यहां तक तो ठीक था. इतना कहने में कोई बुराई नहीं थी, लेकिन जब हार हो गई, 19 नवंबर के दिन हुई तो कांग्रेस के कई लोगों ने कमेंट किया कि चूंकि स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी के नाम पर है इसीलिए हार हो गई. उद्धव शिवसेना के नेता संजय राउत ने तो बड़ी चतुराई से फाइनल में हार के लिए नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहरा दिया. इन लोगों को कौन समझाए कि इसी नरेंद्र मोदी स्टेडियम में टीम इंडिया ने पाकिस्तान को शिकस्त दी थी. फिर देश में इंदिरा गांधी स्टेडियम हैं, जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम हैं, राजीव गांधी स्टेडियम हैं. क्या उनमें कभी टीम इंडिया की हार नहीं हुई? कांग्रेस के नेता प्रमोद तिवारी ने एक पब्लिक मीटिंग में कहा कि टीम इंडिया ने 10 मैच जीते फिर इस मैच में कौन पहुंच गया जिसकी वजह से हार हुई? मुझे लगता है कि आज के ज़माने में इस तरह के अंधविश्वास की बातें करना, किसी को पनौती कहना, खेल के मैदान में हार जीत को किसी के नाम से जोड़ना बहुत ही घटिया स्तर की राजनीति की मिसाल है. जब हमारा चंद्रयान चंद्रमा पर पहुंच चुका है, जब भारत न्यूक्लियर बम बना चुका है, जब पूरी दुनिया भारत को एक मॉडर्न साइंटिफिक इंडिया के तौर पर देख रही है तो ऐसे में सिर्फ सियासत के लिए इस तरह की बातें करना, चाहे कोई भी करे, अच्छी बात नहीं है. सब लोगों को मिलकर ये देखना चाहिए कैसे पूरा देश हमारी टीम के साथ खड़ा है. पहली बार फाइनल में हार के बावजूद लोग अपनी टीम के साथ खड़े हैं, अपनी टीम की हौसला अफजाई कर रहे हैं. जब रोहित शर्मा मैच हारने के बाद कमेंटेटर से बात करने के लिए सामने आए तो पूरा स्टेडियम उनके लिए तालियां बजा रहा था. ‘रोहित, रोहित’ के नारे सुनाई दे रहे थे.प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का अवार्ड लेने के लिए जब विराट कोहली स्टेज पर आए तो उनका चेहरा उदास था, लेकिन पूरा स्टेडियम ‘कोहली, कोहली’ के नारों से गूंज रहा था. मैंने हारी हुई टीम के लिए इतना प्यार पहली बार देखा है. ये हमारे देश की भावना है. सबको इसी भावना के साथ रहना चाहिए. कप हारा तो क्या हुआय़ करोड़ों दिल तो जीत लिए. एक मैच हारा तो क्या? पहले 10 तो जीत लिए. कोई-कोई दिन ऐसा होता है, जब किस्मत साथ नहीं देती. .कितनी भी कोशिश कर लो सफलता हाथ नहीं लगती. जल्दी ही ऐसा दिन आएगा, जब किस्मत भी अपना रंग दिखाएगी. सबको हराकर हमारी टीम विश्व चैंपियन बन जाएगी.

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