Rajat Sharma

संसद की सुरक्षा में सेंध : असली मास्टरमाइंड का पता लगाएं

AKB30 दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया है कि संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने का मामला एक आतंकवादी घटना है और इसके पीछे बड़ी साजिश हो सकती है. ये काम चार-छह लोगों का नहीं है, इसमें और भी लोग शामिल सकते हैं. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार चारों आरोपियों के खिलाफ आंतकवाद की दफाओं में ही केस दर्ज किया है. जो रिमांड आवेदन कोर्ट में पेश किया गया है, उसमें दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस मामले की प्लानिंग लम्बे वक्त से चल रही थी, संसद की दो बार रेकी की जा चुकी थी. दिल्ली पुलिस का दावा है कि संसद में बुधवार को जो कुछ हुआ, उसका मकसद डर फैलाना था. कोर्ट ने सभी आरोपियों को सात दिन के लिए स्पेशल सेल की रिमांड में भेजा है और कहा है कि जरूरत पड़ने पर रिमांड बढ़ाई जा सकती है. गुरुवार रात को इस केस के कथित मास्टर माइंड ललित झा ने दिल्ली के कर्तव्य पथ थाने में जाकर सरेंडर कर दिया. ललित झा घटना के बाद चारों आरोपियों के सैलफोन ले कर राजस्थान के नागौर भाग गया था. जो चार आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं, उनके बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. पूरे प्लान की कड़ियां जुड़ गई है. पता चला है कि संसद में बड़ा हंगामा करने की प्लानिंग एक साल पहले से बन रही थी. पांचों आरोपी एक साल से लगातार एक एप्प के ज़रिए संपर्क में थे. ये सभी तीन दिन पहले ही दिल्ली पहुंच गए थे. तीन महिने पहले ही संसद भवन की रेकी हो चुकी थी. जो बातें सामने आई हैं, उससे इतना साफ हो गया कि संसद में जो सेंध लगी, वो सुरक्षाकर्मियों की तरफ से गंभीर चूक थी. लापरवाही के आरोप में संसद के 8 सुरक्षा अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है. शुरुआती जांच से जो जानकारी मिली है, उससे इस बात की पुष्टि हुई है कि जिन लोगों ने संसद में आतंक मचाया, उनके पीछे कोई बड़ी ताकत है. इस मामले से जुड़े सभी लोग साधारण परिवारों से हैं, उनकी कमाई का कोई खास साधन नहीं है, पर इस शर्मनाक हरकत के लिए उनके पास पैसे की कोई कमी नहीं थी. साल भर तक तैयारी करने के लिए ये लोग देशभर में इधर से उधर घूमते रहे. जो 6 लोग इस अपराध में शामिल थे, वे पढ़े-लिखे हैं, जागरूक हैं, वे जानते थे कि वो जो कर रहे हैं, उसकी सज़ा क्या है. फिर भी वो इसमें क्यों कूदे? वो क्या हासिल करना चाहते थे? इसका जवाब मिलना बाकी है. ये बात भी पता चलना जरूरी है कि इन लोगों का इस्तेमाल करने वाले कौन थे और संसद में आतंक फैलाने के पीछे मकसद क्या था?

सेंध पर सियासत, सांसद सस्पेंड

संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने का मामला सुरक्षा से ज्यादा सियासत का मुद्दा बन गया है. विरोधी दलों ने गुरुवार और शुक्रवार दोनों दिन संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा किया, नारेबाजी की. लोकसभा के 14 और राज्यसभा के एक सांसद को इस सत्र के बाकी दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया गया है. विरोधी दलों की मांग है कि गृह मंत्री अमित शाह इस घटना पर बयान दें और सदन में इस पर बहस हो. मुझे लगता है संसद में जो हंगामा हुआ और उसके बाद जो निलम्बन हुआ, दोनों की जरूरत नहीं थी. इससे बचा जा सकता था. संसद पर जो हमला हुआ, उसकी चिंता सभी सांसदों को होना स्वभाविक है. जिस तरह से सुरक्षा में सेंध लगी, उसकी जिम्मेदारी सरकार की है. विरोधी दलों को सवाल उठाने का पूरा हक है. लेकिन मामले की जांच चल रही है. संसदीय कार्यमंत्री ने जवाब दे दिया है. सरकार के वरिष्ठ मंत्री राजनाथ सिंह ने भी आश्वसान दिया कि आगे से ऐसा न हो, ये सुनिश्चित किया जाएगा लेकिन फिर भी गृह मंत्री के बयान की मांग पर अड़े रहना, ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर शोर-शराबा और हंगामा करना जायज़ नहीं है. लेकिन मैं ये भी कहूंगा कि हंगाना करने वाले सांसदों को सस्पेंड करना भी जायज़ नहीं है. संसद में हंगामा, शोर-शराबा होता रहता है, नारे लगते हैं तो सदन का कार्यवाही को स्थगित कर दिया जाता है. और अगले दिन सब सामान्य हो जाता है. ये हमने कई बार देखा है, पर 14 सांसदों को सस्पेंड करने से कुछ हासिल नहीं होगा. संसद की कार्यवाही नहीं चल पाएगी. इस मामले में सरकार को बड़ा दिल दिखाना चाहिए और सांसदों से बातचीत करके इस मामले को सुलझा लेना चाहिए.

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