Rajat Sharma

राहुल के अपशब्द क्या कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं?

akbराजस्थान में विधानसभा चुनाव का कैंपेन मंगलवार को गाली गलौज पर आ गया, ज़बरदस्त पर्सनल अटैक हुए. कांग्रेस ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर व्यक्तिगत हमले किये. राहुल गांधी ने मोदी को जेबकतरा कह दिया. PM का फुल फॉर्म पनौती मोदी बता दिया. मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी को झूठों का सरदार कह दिया. जयराम रमेश ने मोदी का मतलब ‘मास्टर ऑफ ड्रामा इन इंडिया’ बता दिया. अब तक कांग्रेस और बीजेपी के नेता राजस्थान में एक दूसरे पर तीखे हमले कर रहे थे, एक दूसरे की नीतियों की आलोचना कर रहे थे, अपनी अपनी गारंटी और वादे जनता के सामने रख रहे थे, मुद्दों पर आलोचना हो रही थी. किसी ने एक दूसरे पर पर्सनल अटैक नहीं किए थे लेकिन मंगलवार को राहुल गांधी ने इसकी भी शुरूआत कर दी. राजस्थान में मंगलवार को मोदी की तीन रैलियां हुईं, योगी की दो जनसभाएं हुई, अमित शाह की दो रैलियां हुईं, जे पी नड्डा और बीजेपी के दूसरे बड़े नेताओं ने भी प्रचार किया. किसी ने कांग्रेस के नेताओं के लिए इस तरह के अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं किया लेकिन राहुल गांधी कांग्रेस की गारंटी की बात करते करते बहक गए. कांग्रेस ने राजस्थान के लिए मंगलवार को मैनीफेस्टो जारी किया, जिसमें चार सौ रूपए में ग़रीबों को गैस सिलेंडर देने, 25 लाख की बजाय 50 लाख रुपये तक अस्पतालों में मुफ्त इलाज देने, उच्चतर माध्यमिक स्तर तक सभी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा देने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के तहत किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, सरकारी कालेजों में दाखिला लेने वाले सभी छात्रों को मुफ्त लैपटॉप देने जैसे तमाम वादे किए हैं. लेकिन मोदी ने कहा कि अब कांग्रेस कुछ भी कर ले, कोई जादूगरी नहीं चलेगी, जादूगर को जाना ही होगा. मोदी ने कहा कि जनता देख रही है, लॉकर्स से रूपयों के बंडल निकल रहे हैं, सोना निकल रहा है, बीजेपी की सरकार बनेगी तो तो घोटालों की जादूगरी करने वालों को जेल भेजा जाएगा. मोदी की ये बात राहुल गांधी को इतनी बुरी लगी कि उन्होंने मोदी को गालियां देनी शुरू कर दी. बाड़मेर की रैली में राहुल ने पहले मोदी को जेबकतरा और पनौती कह दिया. राहुल ने कहा कि पीएम का मतलब है ‘पनौती मोदी’. राहुल ने विश्वकप फाइनल में टीम इंडिया की हार का ठीकरा मोदी पर फोड़ दिया. कहा, कि हमारे क्रिकेटर अच्छा खासा खेल रहे थे, वर्ल्ड कप जीत जाते लेकिन पनौती ने आकर हरवा दिया. राहुल सिर्फ इतने पर नहीं रुके. इससे पहले उन्होंने मोदी और अडानी की तुलना जेबकतरों से की. कहा, कि मोदी और अडानी जेबकतरों की जोड़ी की तरह काम करते हैं. .एक लोगों का ध्यान असली मुद्दों से हिन्दू मुसलमान पर डायवर्ट करता है, दूसरा देश की जेब काटकर सारा माल अपनी तिजोरी में डाल लेता है. सिर्फ इतना ही नहीं कांग्रेस के ट्विटर हैंडल पर मोदी को पनौती बताते हुए एक मीम भी शेयर किया गया. इस मीम में एक फिल्म का सीन लिया गया और राहुल गांधी के भाषण को स्टेडियम में मैच देखते मोदी के वीडियो के साथ दिखाया गया. ऐसा नहीं है कि बीजेपी के कैम्पेन मैनेजरों को इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि मोदी के खिलाफ इस तरह का ट्रेंड चलाया जाएगा. इससे पहले जब चंद्रयान-2 मिशन फेल हुआ था, तब भी मोदी के इसरो मुख्यालय में मौजूद होने की बात कहकर उनके खिलाफ पनौती वाला ट्रेंड चलाया गया था, लेकिन मोदी इससे घबराए नहीं. अहमदाबाद में वर्ल्ड कप फाइनल देखने पहुंचे. जब भारत हार गया तब भी मोदी ने देश के मुखिया होने की भूमिका निभाई. वह टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम में गए और उन्होने खिलाड़ियों की हिम्मत बढ़ाई. राहुल ने मोदी को पनौती कहा तो बीजेपी ने इसे राहुल गांधी की नासमझी का सबूत बताया. रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं, हार के डर से बौखला गए हैं, इसलिए प्रधानमंत्री के पद को गालियां दे रहे हैं. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अगर राहुल गांधी अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगते तो बीजेपी इसे बड़ा मुद्दा बनाएगी. राहुल ने जो कहा वो राजनीतिक नजरिए से, भाषा की मर्यादा की दृष्टि से, और चुनावी कैंपेन के गणित के लिहाज, हर तरह से गलत है. प्रधानमंत्री को पनौती कहना किसी लिहाज से ठीक नहीं है. इसे कोई उचित नहीं ठहरा सकता. कांग्रेस के सभी बड़े नेता आजकल चुनाव प्रचार के दौरान मोदी पर हमले करते हैं लेकिन शब्दों की मर्यादा का थोड़ा बहुत ध्यान रखते हैं . फिर राहुल गांधी ने ऐसा क्यों किया? इसको समझने की जरूरत है. असल में राहुल गांधी पिछले कई सालों से बार बार ये कहते हैं कि वो अकेले ऐसे नेता हैं, जो मोदी से नहीं डरते, वो मोदी के खिलाफ लड़ने वाले अकेले बहादुर नेता हैं, कांग्रेस के नेताओं के साथ मीटिंग में वो कई बार पार्टी के नेताओं को इस बात के लिए डांट चुके हैं कि वो मोदी पर सीधे हमले क्यों नहीं करते. गुलाम नबी आजाद जब कांग्रेस में थे तो उन्होंने ये बात कही भी थी. फिर G-23 के मेंबर्स ने कांग्रेस अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर राहुल गांधी की इसी तरह की बातों की शिकायत की थी लेकिन राहुल नहीं माने. राहुल उसके बाद मोदी पर लगातार इसीलिए पर्सनल अटैक करते हैं ताकि वह दिखा सकें कि वही अकेले ऐसे हिम्मत वाले नेता हैं जो मोदी के खिलाफ बिना डरे कुछ भी कह सकते हैं. लेकिन इस चक्कर में राहुल सेल्फ गोल कर देते हैं. मंगलवार को मल्लिकार्जुन खरगे और जयराम रमेश ने भी मोदी पर इसी तरह के सेल्फ गोल किये. खरगे ने मोदी को झूठों का सरदार कहा. .मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस का मेनिफेस्टो जारी करने के लिए आए थे. मोदी अपनी रैलियों में खरगे के बयान का हवाला देकर कहते हैं कि कांग्रेस के बड़े बड़े नेता उनके स्वर्गीय पिता को भी गालियां दे रहे हैं. खऱगे ने इस पर सफाई देते हुए कहा उन्होंने अपनी मां और सभी भाई बहनों को सात साल की उम्र में खो दिया था, वह परिवारजनों को खोने का दुख समझते हैं. उन्होंने मोदी तो छोड़िए किसी के परिवार वालों के खिलाफ कभी कुछ नहीं कहा, लेकिन मोदी बार बार झूठ बोलते हैं, क्योंकि वो झूठों के सरदार हैं. कांग्रेस के नेता पुराने अनुभवों से नहीं सीखते. मैं इतिहास याद दिला दूं. 2007 में गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान सोनिया गांधी ने मोदी को मौत का सौदागर कहा. कांग्रेस बुरी तरह हारी. 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान राहुल गांधी ने मोदी को खून का दलाल बताया. मणिशंकर अय्यर ने चाय बेचने वाला घटिया इंसान कहा. कांग्रेस बुरी तरह हारी. मोदी प्रधानमंत्री बन गए, पूर्ण बहुमत की सरकार बनी. 2017 में कर्नाटक चुनाव के दौरान मणिशंकर ने मोदी को नीच कहा. फिर कांग्रेस हारी, बीजेपी की सरकार बनी. 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक की रैली में राहुल ने ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया, फिर ये कहा कि ‘सारे चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है’. इस पर उन्हें गुजरात के कोर्ट में सजा भी हुई लेकिन कांग्रेस का लोकसभा चुनाव में सफाया हो गया. मोदी पहले से ज्यादा बहुमत से जीते. 2022 में गुजरात चुनाव के समय खरगे ने मोदी का रावण बता दिया. कांग्रेस फिर हारी. इतने सारे उदाहरण होने के बाद भी कांग्रेस के नेता समझ नहीं रहे हैं कि जनता बाकी सब बर्दाश्त कर सकती है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपशब्दों को लोग अच्छा नहीं मानते. राजस्थान में अब तक कांग्रेस का कैंपेन अच्छा भला चल रहा था. अशोक गहलोत खुद कमान संभाल हुए थे. प्रियंका गांधी की रैलियां हो रही थी. कहीं कोई गड़बड़ नहीं हुई लेकिन राहुल गांधी पहुंचे, सारा गुड़गोबर कर दिया. अब काँग्रेस के स्थानीय नेता परेशान हैं, कहीं राहुल गांधी का कैम्पेन बीजेपी के लिए वरदान साबित न हो जाए. शायद इसीलिए बीजेपी के नेता कहते हैं कि जब तक कांग्रेस में राहुल गांधी हैं तब तक उन्हें चिन्ता करने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि बीजेपी का आधा काम तो राहुल गांधी कर देते हैं. राजस्थान में मंगलवार को राहुल की सिर्फ तीन रैलियां हुई. कांग्रेस के किसी और नेता की कोई रैली नहीं हुई. सबको उम्मीद थी कि कांग्रेस की गारंटी वाली खबर बड़ी बनेगी, इसका बड़ा असर होगा लेकिन राहुल गांधी ने माहौल बदल दिया. जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, उनमें बीजेपी को सबसे ज्यादा उम्मीद राजस्थान से है. यहां पिछले पांच साल से कांग्रेस की सरकार है, कांग्रेस में आपसी झगड़े हैं, चाहे पेपर लीक का आरोप हो या लाल डायरी का, ये आरोप कांग्रेस के नेताओं ने ही अशोक गहलोत पर लगाए हैं. इसीलिए ये बीजेपी के काम आ रहे हैं. दूसरी तरफ उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या और राजस्थान में हुए दंगे अमित शाह और योगी आदित्यनाथ की रैलियों के लिए अच्छा खासा मसाला बन गए हैं. लगे हाथों योगी कानून और व्यवस्था की बात भी कह देते हैं. ये सारे मुद्दे ऐसे हैं जो जनता से सीधे जुड़े हुए हैं. हालांकि अशोक गहलोत ने अपनी गारंटियों के ज़रिए इनका जवाब देने की कोशिश की है. अशोक गहलोत का शुरू से ये प्रयास रहा है कि राजस्थान का चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाए लेकिन राहुल गांधी ने मोदी पर सीधा हमला करके बीजेपी को बड़ा मौका दे दिया. जादूगर का प्लान फेल कर दिया.

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