Rajat Sharma

राम मंदिर : कांग्रेस ने देश के मूड की उपेक्षा की है

rajat-sirअयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान औपचारिक रूप से शुरू हो गए हैं. समारोह के मुख्य यजमान के तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 11 दिन का व्रत अनुष्ठान तो चार दिन पहले ही शुरू हो गया था. मंदिर के ट्रस्टी अनिल मिश्रा कर्मकांडों में यजमान की भूमिका में अभी हैं. अनिल मिश्रा को सरयू में स्नान करवा कर ब्राह्मणों ने प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम की शुरूआत कर दी, वैदिक परंराओं के साथ यजमान का शारीरिक और आत्मिक शुद्धिकरण करवाया गया, इसके बाद रामलला की मूर्ति का शुद्धिकरण होगा. अयोध्या रंग बिरगी रौशनी से सराबोर है. सभी मंदिरों, सड़कों, चौक चौराहों पर लाइंटिंग और वॉल पेंटिंग हो चुकी है. मंगलवार की शाम को सरयू घाट पर भगवान राम के भक्तों ने दीये जलाए. सरयू घाट की सीढ़ियों पर हज़ारों दीयों की रौशनी से अयोध्या जगमगा उठी. अयोध्या में गुजरात से भेजी गई 108 फीट की अगरबत्ती को भी प्रज्वलित कर दिया गया. यह कम से कम अगले 21 दिनों तक अयोध्या में यूं ही जलती रहेगी और दूर-दूर तक महक बिखेरेगी. रामलला के छप्पन भोग के लिए आगरा से 56 तरह के पेठे लाए गए. 22 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में काशी के बड़े ज्योतिषाचार्य गणेशवर शास्त्री पूरी प्रक्रिया पर नज़र रखेंगे. उनकी देखरेख में पूरे विधि-विधान से हर काम किया जाएगा. काशी के पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे. उधर, मुख्य यजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आंध्र प्रदेश और केरल में मंदिरों में जाकर प्रार्थना कर रहे हैं, मंगलवार को वह आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी में वीरभद्र मंदिर का दर्शन करने गए. यहां पर रामायण के मुताबिक जटायू ने भगवान राम से मिलने के बाद मोक्ष प्राप्त किया था. बुधवार को सुबह मोदी ने केरल के गुरुवायुर मंदिर में जाकर पूजा की. बाद में त्रिचूर जिले में श्री रामस्वामी मंदिर गए. नरेन्द्र मोदी ने कहा, इस वक्त पूरा देश भगवान राम की भक्ति में सराबोर है और वो भी व्रत अनुष्ठान कर रहे हैं. लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम में राम मंदिर के लिए पांच सौ साल के संघर्ष को याद किया और कहा कि राम के आशीर्वाद के बिना कोई काम नहीं हो सकता. जो राम का नाम लेता है, वो तर जाता है और जो भगवान राम से दूरी बनाता है, उसका हश्र मारीच की तरह होता है. लेकिन मंगलवार को कोहिमा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने साफ लफ्जों में कहा कि चूंकि राम मंदिर का उद्घाटन नरेंद्र मोदी कर रहे हैं और चूंकि वही मुख्य यजमान हैं, इसलिए विपक्षी मोर्चे के नेता 22 जनवरी को अयोध्या नहीं जाएंगे. राहुल ने कहा कि कांग्रेस को न तो प्राण प्रतिष्ठा से कोई दिक़्क़त है, न किसी कार्यकर्ता को वहां जाने से रोका गया है, लेकिन पार्टी के तौर पर कांग्रेस ने इस कार्यक्रम से दूर रहने का फैसला किया है क्योंकि ये धार्मिक नहीं, बीजेपी-आरएसएस का राजनीतिक कार्यक्रम है. उधर, शिव सेना नेता संजय राउत और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का ये आरोप झूठा साबित हुआ कि राम मंदिर का निर्माण बाबरी ढांचे से 3 किलोमीटर की दूरी पर हुआ है. संजय राउत या दिग्विजय सिंह तो 1992 में हुई कारसेवा में नहीं गए थे लेकिन उस वक्त साध्वी ऋतंभरा मौजूद थी. साध्वी ऋतंभरा शुरू से ही अयोध्या आंदोलन से जुड़ी रहीं. वह नेता नहीं हैं, किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ी हैं. सामाजिक कार्यों के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित किया है. साध्वी ऋतंभरा इस बार ‘आपकी अदालत’ में मेरी मेहमान हैं. मंगलवार को शो की रिकॉर्डिंग के दौरान मैंने साध्वी से संजय राउत के बयान का हवाला देकर सवाल पूछा कि आप लोग नारा लगाते थे, सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे, लेकिन क्या मंदिर वहीं बन रहा है या वहां से अलग जगह पर बन रहा है? इस पर ऋतंभरा ने साफ कहा, मंदिर वहीं बन रहा है. हमारे संवाददाता ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष गोविंद गिरि महाराज से पूछा. उन्होने कहा कि जिस दिन बाबरी मस्जिद गिरी, उसी दिन से गर्भगृह में रामलला का स्थान चिह्नित है और वहीं पर गर्भगृह बना है. विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि मंदिर का गर्भ गृह ठीक उसी जगह पर है, जहां बाबरी मस्जिद का मुख्य गुंबद था जहां रामलला 1949 से विराजमान थे. मुझे लगता है कि सवाल विपक्ष की तरफ से लगाए जा रहे आरोपों का नहीं हैं, प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम को लेकर नहीं है. सवाल विपक्ष की सोच पर है. राहुल गांधी हों, दिग्विजय सिंह हों, उद्धव ठाकरे हों, संजय राउत हों, RJD के नेता हों या समाजवादी पार्टी के नेता, ये लोग राम मंदिर को लेकर उल्टे सीधे बयान दे रहे हैं. रोज रोज भ्रम फैलाने वाले नए नए शिगूफे छोड़ रहे हैं. क्या इन लोगों को देश का मूड दिखाई नहीं देता? क्या विपक्ष के नेता देश में रामभक्ति की लहर को नहीं देख पा रहे हैं? दुनिया भर में बसे हिन्दू इस मौके पर किसी न किसी तरह अयोध्या पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन राहुल गांधी कह रहे हैं कि 22 जनवरी को होने वाला कार्यक्रम सियासी है, बीजेपी इसका फायदा उठाना चाहती है. सवाल ये है कि अगर बीजेपी को चुनाव में राम मंदिर उद्घाटन का फायदा होगा तो क्या इस मौके का बॉयकॉट करके विरोधी दलों को चुनावों में फायदा होगा? मुझे लगता है कि मोदी विरोधी मोर्चे के नेताओं से ज्यादा समझदार तो इकबाल अंसारी हैं जो अयोध्या विवाद में मुस्लिम पक्ष के पैरोकार थे. उनके पिता ने केस लड़ा फिर उन्होंने बाबरी ढांचे के पक्ष में कोर्ट में पैरवी की लेकिन कोर्ट के फैसले पर राम मंदिर बन गया और 22 जनवरी के प्रोग्राम का निमंत्रण इकबाल अंसारी को मिला तो उन्होंने खुशी खुशी न्योता स्वीकार किया और प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल होंगे. वैसे इस मामले में अरविंद केजरीवाल भी चतुर निकले. उन्होंने राम को छोडकर बजरंगबली को पकड़ लिया है. मंगलवार को केजरीवाल दिल्ली में हनुमान चालीसा का पाठ करते नजर आए. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के सभी इलाकों में सुंदरकांड का पाठ का आयोजन शुरू किया है. फरवरी से हर महीने के पहले मंगलवार को पूरी दिल्ली में इसी तरह हनुमान चालीस का पाठ गूंजेगा.

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