Rajat Sharma

यूपी में बीजेपी का हिन्दुत्व, ओबीसी कार्ड

AKB बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए अपना अभियान शुरु कर दिया है. सोमवार को स्वर्गीय कल्याण सिंह की दूसरी पुण्यतिथि पर अलीगढ में आयोजित रैली में विषय भी स्पष्ट था और लक्ष्य भी. पार्टी ने हिन्दू गौरव दिवस का आयोजन किया. इस मौके पर बीजेपी ने एक मंच पर सभी जातियों के नेताओं को इकट्ठा किया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्रिमंडल के तमाम सदस्यों के अलावा, दिल्ली से गृह मंत्री अमित शाह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, संजीव बालियान और बी एल वर्मा भी पहुंचे. अमित शाह ने कहा कि कल्याण सिंह के सारे सपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे किए हैं. कल्याण सिंह चाहते थे कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो, वो हो रहा है. कल्याण सिंह पिछड़े वर्ग को उनका हक देना चाहते थे, नरेन्द्र मोदी वही काम कर रहे हैं. अमित शाह ने कहा कि कल्याण सिंह ने पहली बार बीजेपी को यूपी में 80 में से 73 सीटें जितवाईं. अब 2024 में यूपी की सभी 80 सीटों पर बीजेपी को जिताना है. यही कल्याण सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि होगी. अमित शाह ने 80 सीटों का लक्ष्य घोषित किया. मुद्दा हिन्दुत्व होगा, राम मंदिर का निर्माण होगा और बीजेपी की कोशिश होगी कि जात-पांत भूलकर सभी को हिन्दुत्व के मुद्दे पर एकजुट किया जाए. बहुत से लोग कह रहे हैं कि बीजेपी की निगाह अब पिछड़े वर्ग के वोट पर है. बीजेपी पिछड़े नेताओं को आगे करेगी, पिछड़े वर्ग की बात करेगी. चूंकि कल्याण सिंह पिछड़े वर्ग के बड़े नेता थे इसीलिए बीजेपी ने उनकी पुण्य तिथि पर इतना भव्य प्रोग्राम किया, लेकिन यदि आप अमित शाह, योगी और दूसरे नेताओं की बात सुनेंगे तो स्पष्ट हो जाएगा कि बीजेपी की रणनीति इससे अलग है. अलीगढ़ में आज बीजेपी ने अपने नेताओं की पूरी फौज उतार दी थी. कल्याण सिंह की पुण्य तिथि पर सभी छोटे बड़े नेता पहुंचे, अगड़ी, पिछड़ी और दलित, सभी जातियों के नेता शामिल हुए. अमित शाह और योगी के अलावा वसुन्धरा राजे, यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक, मंत्री अनिल राजभर, मंत्री संदीप सिंह, स्वतंत्र देव सिंह, मंत्री जतिन प्रसाद, और यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी मंच पर मौजूद थे. बीजेपी ने साफ कर दिया कि बीजेपी के लिए हिन्दुत्व और राम मंदिर अगले चुनाव में बड़ा मुद्दा होगा. जहां तक जातियों का सवाल है, तो बीजेपी सभी जातियों के लोगों को साथ लेकर चलेगी. उत्तर प्रदेश से बीजेपी को सबसे ज्यादा उम्मीद है. पार्टी को लगता है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी पिछली बार के मुकाबले ज्यादा सीटें जीतेगी. पिछले चुनाव में एनडीए को 64 सीटें मिली थी. इस बार स्थिति सुधरेगी. बीजेपी के विरोधी भी मानते हैं कि यूपी में बीजेपी 70 से 75 तक सीटें जीत सकती है. इसकी दो बड़ी वजह है. एक, योगी आदित्यनाथ ने यूपी में कानून और व्यवस्था की स्थिति में जबरदस्त सुधार किया है. लोग अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं, लोग चैन की जिंदगी जीते हैं. इसका असर आर्थिक विकास पर भी पड़ा है. पहले लोग यूपी में पूंजी लगाने में डरते थे, अब यूपी निवेशकों के लिए आकर्षक स्थल बनता जा रहा है. दूसरी वजह है, राम मंदिर का निर्माण. 600 साल के बाद हिंदुओं की आस्था का प्रतीक राम मंदिर भगवान राम के जन्मस्थान पर बनकर तैयार हो रहा है. प्रधानमंत्री जनवरी में इसे देश को समर्पित करेंगे. इसका भावनात्मक असर होगा. इसीलिए अमित शाह और योगी ने बार बार राम मंदिर का जिक्र किया. यूपी में बीजेपी ने तीसरा काम किया है अगड़ी पिछड़ी दलित सभी जातियों को एकजुट करने का. अमित शाह और योगी आदित्यनाथ ने मिलकर जातिगत समीकरणों को काफी हद तक दुरुस्त किया है. पर ये ‘वर्क इन प्रोग्रेस है’, अर्थात काम अभी जारी है.

मुसलिम वोट बैंक पर ममता की नज़र

चुनाव की तैयारी में तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी भी लगी हैं. ममता की नजर मुस्लिम वोट बैंक पर है. सोमवार को ममता बनर्जी की सरकार ने कोलकाता में इमाम और मुअज्जिनों का सम्मेलन किया जिसमें पूरे राज्य से अल्पसंख्यकों के नेता जुटे. इस मौके पर ममता ने इमामों की तनख्वाह में हर महीने 500 रुपए की बढ़ोत्तरी का ऐलान किया. इसके साथ साथ ममता ने कहा कि उनकी सरकार पुजारियों का भत्ता भी 500 रुपए महीने बढ़ाएगी. अब बंगाल में इमामों को तीन हजार रूपए और पुजारियों को 1500 रूपए हर महीने मिलेंगे. पुजारियों और इमामों की तनख्वाह में इजाफे के एलान के बाद ममता ने बीजेपी पर मुसलमानों से नफरत करने का इल्जाम लगाया. ममता ने कहा कि अल्पसंख्यकों को, खासतौर पर मुसलमानों को बीजेपी से सावधान रहने की ज़रूरत है क्योंकि बीजेपी के कुछ नेता, कई अल्पसंख्यक नेताओं को पैसे देकर बंगाल का माहौल ख़राब करने की कोशिश कर रहे हैं. ममता ने ये भी कह दिया कि बंगाल के लोगों को CPM और कांग्रेस से भी बचकर रहना चाहिए क्योंकि बीजेपी, CPM और कांग्रेस आपस में मिले हुए हैं. इसके बाद ममता बनर्जी ने यूनीफॉर्म सिविल कोड, NRC और CAA की बात की. कहा, वो बंगाल में इस तरह के कानून किसी कीमत पर लागू नहीं होने देंगी. ममता ने कहा, ‘ मैं फुरफुरा शरीफ़ के मौलाना का बहुत सम्मान करती हूं, लेकिन मैं आपसे भी ये उम्मीद करती हूं कि आप राजनीति में नहीं पड़ेंगे. क्या बेलूर मठ किसी राजनीतिक विवाद में पड़ता है? जब कोई धार्मिक स्थल किसी सियासी मामले में पड़ता है, तो उससे उस धर्मस्थान का नाम नहीं बढ़ता, उनका अपयश होता है. मैं अपना धर्म अपने माथे पर लिखकर नहीं चलती. मेरा धर्म मेरे दिल में है. मेरा धर्म मेरे मन में है. मेरे प्राण में है.’ ममता बनर्जी इमामों की तनख्वाह बढ़ाएं, इसमें किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए. ममता बीजेपी का नाम लेकर मुसलमान को डराएं, इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए. अचरज की बात तो ये है कि ममता ने बंगाल के लोगों से कहा कि बीजेपी, CPM और कांग्रेस आपस में मिले हुए हैं. अब लोग पूछ सकते हैं कि ममता तो पटना और बैंगलोर में दो-दो बार कांग्रेस और CPM के नेताओं के साथ मीटिंग कर चुकी हैं, मोदी के खिलाफ जो गठबंधन बना है, उसमें ममता के साथ राहुल गांधी और सीताराम येचुरी भी शामिल हैं. तो फिर बंगाल में CPM और कांग्रेस बीजेपी की मदद क्यों करते हैं? इसका जवाब ममता को देना चाहिए.

मध्य प्रदेश में तीर्थाटन की राजनीति

धर्म की राजनीतिक मध्य प्रदेश में भी हो रही है. यहां नवम्बर में विधानसभा चुनाव होंगे. अब कांग्रेस के ये नेता ये साबित करने में जुटे हैं कि वो बीजेपी से ज्यादा धार्मिक हैं. अब मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के नेता अपने अपने क्षेत्रों के लोगों को मुफ्त में धार्मिक यात्रा करवा रहे हैं. इसीलिए आजकल मध्य प्रदेश से बसों और ट्रेनों के जरिए जत्थे के जत्थे वैष्णो देवी, महाकाल, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन जा रहे हैं. मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने अपने इलाके के 11,000 लोगों को 201 बसों से महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन भेजा है. विश्वास सारंग हाल में कथावाचक प्रदीप मिश्रा की कथा भी करा चुके हैं और अगले कुछ दिनों में बागेश्वर बाबा की कथा भी आयोजित कराने जा रहे हैं. दरअसल विश्वास सारंग के नरेला विधानसभा क्षेत्र से मनोज शुक्ला कांग्रेस टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. पिछले दो साल से मनोज शुक्ला लोगों का तीर्थाटन करा रहे हैं, लेकिन सारंग को कांग्रेस का ये नया-नया हिन्दू प्रेम पसंद नहीं आ रहा है. विश्वास सारंग ने कहा कि कांग्रेस के नेता चुनाव से पहले धार्मिक हो जाते हैं जबकि वो पूरे साल इस तरह के आयोजन करते हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता बीजेपी पर राजनीति में धर्म के इस्तेमाल का इल्जाम लगा रहे हैं. कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे पी सी शर्मा भी आजकल लोगों को धार्मिक यात्रा पर भेज रहे हैं. वो खुद भी भक्तों के साथ भजन कीर्तन करते नजर आते हैं. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के साथ 3,200 किलोमीटर की पैदल नर्मदा यात्रा कर चुके रवीन्द्र झूमर वाला दो महीने में गोविंदपुर के 18 वार्डों में से 15 वार्डों की 8000 महिलाओं को 6 चरणों में 200 से ज्यादा बसों के जरिए सलकनपुर की यात्रा करा चुके हैं। झूमरवाला ने अपने क्षेत्र के लोगों को नर्मदा की परिक्रमा पर भेजा है. लेकिन चुनाव से पहले कांग्रेस के नेताओं का हिन्दुत्व प्रेम कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं को रास नहीं आ रहा है. यूपी, उत्तराखंड और मिजोरम के राज्यपाल रहे कांग्रेस के सीनियर नेता अज़ीज़ कुरैशी ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि ‘ नेहरु की कांग्रेस कहां से कहां पहुंच गई, आज कांग्रेस नेता जय गंगा मइया…जय नर्मदा मइया कह रहे हैं, धार्मिक यात्राएं कर रहे हैं, चुनाव से पहले वोट के लिए हिन्दुत्व की माला जपने वाले ऐसे कांग्रेस नेताओं को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए.’ कांग्रेस और बीजेपी के नेता चुनाव जीतने के लिए भले ही जनता को धार्मिक यात्राओं पर भेज रहे हों, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चुनावी एजेंडा बिल्कुल साफ है. उन्हें अपनी सरकार के कामों पर भरोसा है. सोमवार को शिवराज सिंह ने 5580 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिए. शिवराज सिंह ने कहा कि न वो मुफ्त की योजनाओं के वादे करेंगे, न भविष्य के सपने दिखाकर वोट मांगेंगे. शिवराज ने कहा कि जनता को काम का हिसाब देंगे और अगर जनता को काम पसंद आएंगे तो उन्हें फिर मौका देगी. मुझे लगता है कि यही रास्ता सही है, सभी पार्टियों को , सभी नेताओं को यही रास्ता अपनाना चाहिए.

Comments are closed.