Rajat Sharma

महंत की आत्महत्या की साजिश रचने वालों को कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए

महंत कहते और लिखते हैं कि सच्चाई सामने आने में लंबा वक्त लग जाएगा, लेकिन तब तक उनकी बदनामी हो जाएगी और समाज में उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हो जाएगी। उन्होंने लिखा, ‘मैं लाख सफाई दूंगा, पर लोग कहां यकीन करेंगे? जब तक लोगों को सच्चाई का पता चलेगा, तब तक तो बहुत देर हो चुकी होगी।’ साफ है कि महंत को मॉर्फ्ड ब्लैकमेल वीडियो के सामने आने के बाद होने वाली बदनामी का डर था। बस इसी बदनामी के डर से उन्होंने आत्महत्या कर ली।

akb अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि को बुधवार को साधु-संतों की उपस्थिति में पूरे सम्मान के साथ भू-समाधि दी गई। इस बीच, महंत द्वारा साइन किए हुए सुसाइड नोट से पता चला है कि उन्होंने अपने शिष्य आनंद गिरी द्वारा ब्लैकमेल किए जाने की धमकी के कारण आत्महत्या जैसा कदम उठाया। आनंद गिरी इस समय पुलिस हिरासत में है।

उत्तर प्रदेश पुलिस को एक वीडियो रिकॉर्डिंग मिली है जिसे महंत नरेन्द्र गिरी ने आत्महत्या करने से पहले रिकॉर्ड किया था। इसमें मंहत ने अपने शिष्य आनंद गिरि को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इस वीडियो से आनंद गिरि के वे सारे दावे झूठे साबित हो गए, जो वह पिछले 24 घंटे से कर रहा था। महंत की मौत के तुरंत बाद एक सुसाइड नोट मिला था और उसमें भी उन्होंने अपने शिष्य के खिलाफ ठीक ऐसा ही आरोप लगाया था। महंत का आरोप था कि उनका शिष्य आनंद गिरि उनकी मॉर्फ्ड तस्वीर और वीडियो जारी करने की धमकी दे रहा था जिसमें वह उन्हें किसी लड़की के साथ दिखाता।

महंत कहते और लिखते हैं कि सच्चाई सामने आने में लंबा वक्त लग जाएगा, लेकिन तब तक उनकी बदनामी हो जाएगी और समाज में उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हो जाएगी। उन्होंने लिखा, ‘मैं लाख सफाई दूंगा, पर लोग कहां यकीन करेंगे? जब तक लोगों को सच्चाई का पता चलेगा, तब तक तो बहुत देर हो चुकी होगी।’ साफ है कि महंत को मॉर्फ्ड ब्लैकमेल वीडियो के सामने आने के बाद होने वाली बदनामी का डर था। बस इसी बदनामी के डर से उन्होंने आत्महत्या कर ली।

इस पूरी कहानी में सबसे ज्यादा दुख की बात ये है कि महंत नरेन्द्र गिरि ने अपनी मौत के लिए जिस शिष्य आनंद गिरि को जिम्मेदार ठहाराया है, उसे उन्होंने अपने बच्चे की तरह पाला था। महंत ने उसे पढ़ाया-लिखाया और अपना उत्तराधिकारी तक बनाने के बारे में सोचा। सोमवार को महंत की आत्महत्या की खबर सामने आने के कुछ मिनट बाद हरिद्वार के पास एक गांव में मौजूद आनंद गिरि ने आरोप लगाया कि महंत की हत्या की गई है। उसने कहा कि महंत इतना लंबा सुसाइड नोट नहीं लिख सकते थे। आनंद गिरि ने आरोप लगाया कि कुछ लोग महंत की संपत्ति हड़पना चाहते थे। एक तरफ सुसाइड नोट पढ़ने और वीडियो देखने, और दूसरी तरफ आनंद गिरी का बयान सुनने के बाद यह पता लगाना आसान हो जाएगा कि कौन सच कह रहा है, और कौन झूठ बोल रहा है।

महंत के वीडियो और सुसाइड नोट को देखने के बाद यह साफ हो जाता है कि उन्होंने भावावेश में आकर आत्महत्या नहीं की। महंत कई दिनों से अपनी आत्महत्या की तैयारी कर रहे थे।

सुसाइड नोट के मुताबिक, पहली बार उन्होंने 13 सितंबर को आत्महत्या करने की कोशिश की थी, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाए। जब हम मंहत नरेन्द्र गिरि के 15 पन्ने के सुसाइड नोट को देखते हैं तो पता चलता है कि इसके दो हिस्से हैं और इसे लिखने में कई दिन लगे हैं। पुलिस को सुसाइड नोट 2 अलग-अलग लिफाफों में मिला है। एक सुसाइड नोट में 13 सितंबर की तारीख लिखी है, जबकि दूसरे में तारीख 20 सितंबर की है। इससे इस सवाल का जवाब मिलता है कि चूंकि महंत ज्यादा लिखना नहीं जानते थे इसलिए उन्होंने धीरे-धीरे कई दिन में ये नोट लिखा। यह बात भी गौर करने वाली है कि कहने को तो ये नोट 15 पन्नों पर लिखा गया लेकिन एक-एक पन्ने पर कुछ ही लाइनें लिखीं गई हैं, और कई शब्द लिख-लिख कर काटे गए हैं।

20 सितंबर के सुसाइड नोट में महंत ने लिखा है कि उन्हें जानकारी मिली है कि आनंद गिरि एक-दो दिन में उनका एक लड़की के साथ मॉर्फ्ड वीडियो जारी करने जा रहा है और वह इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा। नरेन्द्र गिरी ने लिखा, ‘अगर वह ऐसा कर देता है तो मैं कब तक सफाई देता रहूंगा? एक बार मेरी बदनामी हो गई तो फिर जीवन में क्या रह जाएगा? मैं एक गरिमामयी पद पर विराजमान हूं। मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं और इसकी जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उनके लड़के संदीप तिवारी की होगी।’ महंत ने यह सुसाइड नोट बाघंबरी मठ के आधिकारिक लेटर पैड पर लिखा था।

महन्त नरेन्द्र गिरि ने यह भी लिखा: ‘जबसे आनंद गिरि ने मुझ पर असत्य, मिथ्या और मनगढ़ंत आरोप लगाए हैं, तबसे मैं जबरदस्त मानसिक दबाव में जी रहा हूं। जब भी मैं एकांत में होता हूं, तो मर जाने की इच्छा होती है। आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी ने मिलकर मेरे साथ विश्वासघात किया, उन्होंने मुझे जान से मारने की कोशिश की। आनंद गिरि ने फेसबुक, सोशल मीडिया और अखबारों में मेरे ऊपर मनगढ़ंत आरोप लगाए। वे मुझे फिर से बदनाम करने की धमकी दे रहे हैं, इसलिए मैं आत्महत्या कर रहा हूं।’

अब सवाल यह उठता है कि आखिर महंत इतना क्यों डर गए थे? अगर उन्होंने कुछ गलत नहीं किया था, तो फिर डर किस बात का था? इस सवाल का जवाब महंत ने मौत से पहले रिकॉर्ड किए गए आखिरी वीडियो में, और सुसाइड नोट में खुद दे दिया है। आनंद गिरि ने इससे पहले भी महंत की आवाज का इस्तेमाल करते हुए एक मॉर्फ्ड ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर फैला दी थी, जिससे काफी बदनामी हुई थी। अंत में उन्होंने लिखा, ‘आज मैं हिम्मत हार गया हूं और आत्महत्या कर रहा हूं।’ सोशल मीडिया पर जो ऑडियो क्लिप वायरल हुई थी उसमें महंत से मिलती-जुलती आवाज का कोई शख्स किसी को गाली देते हुए सुनाई देता है।

आनंद गिरि ने एक वीडियो भी जारी किया था जिसमें महंत को एक शादी के रिसेप्शन में बार डांसर्स पर नोटों की बौछार करते हुए दिखाया गया था। दरअसल, महंत अपने एक कर्मचारी के शादी समारोह में नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए गए थे, और फिर लौट आए थे, लेकिन वीडियो को मॉर्फ करके ऐसे दिखाया गया जैसे वह बार डांसर्स पर नोट उड़ा रहे हों। ऐसे में इस महीने जब महंत को पता चला कि आनंद गिरि एक लड़की के साथ उसका एक मॉर्फ्ड वीडियो फैलाने जा रहा है, तो उनकी हिम्मत टूट गई और उन्होंने अपनी जान देने जैसा कदम उठा लिया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को महंत को अंतिम विदाई देने के लिए प्रयागराज गए थे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा मामले की जानकारी योगी को दिए जाने, और एक SIT जिसमें यूपी के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल हैं, के गठन के बाद सच्चाई सामने आ ही जाएगी। शुरुआती FIR में आनंद गिरि का नाम है। उसे पूछताछ के लिए प्रयागराज लाया गया है। बाघंबरी मठ के कई शिष्यों और सेवादारों से पूछताछ की जा रही है। सूत्रों ने खुलासा किया है कि महंत ने शुरू में सल्फास (एल्यूमीनियम फॉस्फाइड) की गोलियों का ऑर्डर दिया था, लेकिन बाद में अपना विचार बदल दिया, और एक नायलॉन की रस्सी मंगाई। सल्फास की डिब्बी को खोला नहीं गया था। उन्होंने फांसी लगाने के लिए नायलॉन की रस्सी का इस्तेमाल किया था।

आनंद गिरि बचपन में महंत नरेन्द्र गिरि को हरिद्वार के एक ढाबे पर बर्तन धोते हुए मिला था। अपने माता-पिता के बारे में पूछने पर उसने बताया था कि वह राजस्थान के भीलवाड़ा का रहने वाला है और अपने घर से भाग आया है। महंत ने उसे समझा बुझा कर वापस घर भेजने की कोशिश की, पर जब वह नहीं माना तो महंत उसे अपने आश्रम ले आए। उन्होंने आनंद को अपने बच्चे की तरह पाला, पढ़ाया-लिखाया। आनंद गिरि ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पीएचडी की। बाद में आनंद गिरि ने अपने गुरु को कई बार बदनाम करने, उन्हें परेशान करने की कोशिश की। जिस लड़के को उन्होंने अपना माना, पाल-पोसकर बड़ा किया, वही उनके जीवन के अंत का कारण बना। इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है कि जिस लड़के के सिर पर उन्होंने बचपन से ही अपना हाथ रखा, उसी ने उन्हें बदनाम करने की कोशिश की।

पुलिस को इस पूरे मामले की गहराई से जांच करनी चाहिए। इस साजिश का पूरा सच सामने आना चाहिए। महंत को उनके अंतिम दिनों में कष्ट देने वालों को सजा मिलनी चाहिए।

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