Rajat Sharma

बदायूं के मासूमों की निर्मम हत्या पर राजनीति न करें

AKB30 उत्तर प्रदेश के बदांयू में दिल दहलाने वाली वारदात हुई. जिसने भी सुना, उसके रोंगटे खड़े हो गए. साजिद और जावेद नाम के दो भाइयों ने उस परिवार के दो मासूम बच्चों की गला काट कर हत्या कर दी. जिस परिवार ने साजिद और जावेद पर तरस खाकर उनकी मदद की थी, उनके बच्चों की निर्ममता से हत्या हुई. जिन बच्चों की हत्या हुई उनका परिवार हिन्दू है और हत्यारे मुसलमान हैं. इसलिए इस जघन्य हत्याकांड के कारण बदांयू में साम्प्रदायिक तनाव पैदा हो गया. लोगों ने उस हेयर कटिंग सैलून को तोड़ दिया, उसमें आग लगा दी जो साजिद और जावेद चलाते थे. कुछ ही घंटों के बाद जब ये पता लगा कि पुलिस ने एनकाउंटर में साजिद को ढेर कर दिया है, तो भीड़ शान्त हुई. लेकिन अभी भी ये बड़ा सवाल है कि जब कोई दुश्मनी नहीं थी, कोई रंजिश नहीं थी, तो फिर साजिद और जावेद ने दो छोटे छोटे बेकसूर बच्चों का गला क्यों काटा? जिस मां ने साजिद की मदद के लिए उसे पांच हजार रूपए दिए, रूपए लेने के बाद साजिद ने उसकी गोद क्यों उजाड़ी? जो बच्चा पानी पिलाने साजिद के पास गया, उसके गले पर साजिद ने चाकू क्यों चलाया? साजिद और जावेद की प्लानिंग तो पूरे परिवार को खत्म करने की थी. वो तीसरे बच्चे, घर में मौजूद उसकी मां और दादी को भी खत्म करना चाहता था. घटना के कुछ ही घंटे बाद साजिद एनकाउंटर में मारा गया. गुरुवार की सुबह जावेद ने बरेली में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. पुलिस ने साजिद के पिता और चाचा को हिरासत में लिया है. जांच में पता लगा कि साजिद ने मदद मांगने के लिए जो कहानी गढ़ी वो भी झूठ थी. सबके मन में एक ही सवाल है – सगीता के बच्चों का क्या कसूर था? उन्हें क्यों मार डाला? संगीता के पति विनोद ठेकेदारी का काम करते हैं. घऱ की पहली मंजिल पर संगीता अपना ब्यूटी पार्लर चलाती हैं. घर से कुछ ही दूरी पर साजिद और जावेद का हेयर कटिंग सैलून है. इसलिए परिवार से उनकी जान पहचान थी. बच्चे भी साजिद और जावेद को जानते थे. संगीता ने बताया कि शाम करीब साढ़े छह बजे साज़िद ने घर का दरवाजा खटखटाया. उसके साथ जावेद भी था. साजिद ने संगीता से कहा कि उसकी बीवी प्रेगनेंट है, हॉस्पिटल में भर्ती है, और उसके पास पैसे नहीं है. संगीता ने अपने पति को फोन किया और पति के कहने पर साजिद को पांच हजार रूपए दे दिए. लेकिन साजिद रूपए लेकर गया नहीं. उसने कहा कि डॉक्टर ने रात 11 बजे बुलाया है, वह थोड़ी देर रूकना चाहता है. उसने संगीता का ब्यूटी पार्लर देखने की इच्छा जताई. संगीता ने उसे घर के अंदर आने दिया. साजिद पहली मंजिल पर बने ब्यूटीपार्लर की तरफ गया. उसने संगीता के 13 साल के बेटे आयुष को अपने पास बुला लिया. पीछे पीछे उसका छोटा बेटा 6 साल का अहान भी चला गया. संगीता चाय बनाने लगी. जब उसने अपने तीसरे बेटे 9 साल के पीयूष को पानी के साथ भेजा तो पीयूष चिल्लाते हुए नीचे भागा. उसने देखा कि साजिद ने उसके दो भाइयों का गला काट दिया था. कमरे में चारों तरफ खून बिखरा था. साजिद ने पीयूष पर भी चाकू से हमला किया लेकिन चाकू पीयूष के हाथ में लगा था. पीयूष नीचे आया, उसने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया. साजिद भी चिल्लाते हुए नीचे आया. वो कह रहा था, जिस काम के लिये वो आया था, उसने अपना मकसद पूरा कर लिया है. शोर मचा तो साजिद और जावेद मोटरसाइकिल पर फरार हो गए. पुलिस की टीम ने साजिद और जावेद का पीछा किया. पुलिस का दावा है कि एक गांव वाले ने खबर दी कि चार पांच किलोमीटर दूर शेखुपुर चौकी के पास जंगली इलाके में कोई खून से सने कपड़े छुपाने की कोशिश कर रहा है, पुलिस ने उस इलाके को घेर लिया. पुलिस को देखकर साजिद ने भागने की कोशिश की, पीछा कर रही पुलिस टीम पर फायर किया, एक कॉन्स्टेबल घायल हुआ. उसके बाद पुलिस ने जवाबी फायर किया जिसमें साजिद मारा गया. साजिद की लाश के पास पुलिस ने देसी तमंचा और कारतूस के खोखे बरामद किए हैं. इस दिल दहलाने वाली घटना के बाद फिलहाल बदांयू में हालात काबू में हैं लेकिन जब लोगों को इस वारदात का पता लगा तो बड़ी संख्या में लोग सड़क पर उतरे. सबसे पहले लोगों ने साजिद और जावेद के सैलून में तोड़फोड़ की और फिर आग लगा दी. इसके अलावा आसपास के इलाके में भी तोड़फोड़ और आगज़नी की गई. बाद में बड़ी संख्या में पुलिस की तैनाती कर हालात पर काबू पा लिया गया. लोगों को समझा-बुझा कर शान्त किया गया. इसके बाद इस घटना पर सियासत शुरू हो गई. समाजवादी पार्टी की मीडिया सेल ने दो बच्चों की हत्या को चुनावी राजनीति से जोड़ दिया. कह दिया कि जब भी चुनाव आते हैं तो साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करवाने के लिए बीजेपी इस तरह की वारदातें करवाती है. पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा कि जांच से पहले, कत्ल की हकीकत सामने आने से पहले ही पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया, ये ठीक नहीं है. क्योंकि अब तो असलियत कभी पता ही नही लगेगी. अखिलेश यादव ने भी विशुद्ध राजनीतिक बयान दिया. मुद्दा बदायूं का था और अखिलेश य़ादव प्रतापगढ़, जौनपुर की बातें करने लगे, उनके कहने का मतलब ये था कि यूपी पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर किया है. अखिलेश यादव ने कहा कि अगर यूपी पुलिस पहले सक्रिय रहती, तो शायद दो बच्चों की हत्या ही न होती. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि डबल इंजन की सरकार के दौरान अपराध सबसे ज्यादा हो रहे हैं लेकिन बीजेपी सरकार अरपराधों पर काबू पाने की बजाय सियासी फायदे उठाने की कोशिश करती है. बीजेपी नेता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि बदायूं में जो हुआ, उसके बाद हर संवेदनशील इंसान को मारे गए बच्चों के परिवार के प्रति सहानुभूति दिखानी चाहिए लेकिन समाजवादी पार्टी सहानुभूति दिखाने की बजाए सियासत कर रही है. ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. जिस तरह से साजिद और जावेद ने दो मासूम बच्चों की बेरहमी से हत्या की उसे तो खुदा भी माफ नहीं करेगा. अब चूंकि जावेद पकड़ा जा चुका है, इस हत्या की असली वजह का पता चसल पाएगा. ये बात अचरज में डालने वाली है कि साजिद और जावेद इन मासूम बच्चों के परिवार को जानते थे, इन बच्चों के मां-बाप ने साजिद और जावेद की मदद की थी, फिर भी उन्होंने ऐसी बर्बरता की. ये मामला आपस में जान पहचान वालों का है, हत्यारों की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है, दुनिया की कोई भी पुलिस ऐसे केस में पहले से क्या कर सकती थी? ऐसे में अखिलेश यादव का ये कहना कि अगर पुलिस एक्टिव होती तो दो मासूम बच्चों की जान बचाई जा सकती थी, एक सियासी बयान नहीं तो और क्या है ? दूसरी बात, ऐसे बेरहम अपराधी के पुलिस की गोली से मारे जाने को फर्जी एनकाउंटर बताना भी सियासी बयान है. कोई भी इंसान बच्चों के परिवार की तरफ देखेगा, उनके माता-पिता की तरफ देखेगा, लेकिन हत्यारों से किसी की हमदर्दी कैसे हो सकती है? ऐसे मामले में कोई राजनीति करे, तो ये दुर्भाग्यपूर्ण है.

Get connected on Twitter, Instagram & Facebook

Comments are closed.