Rajat Sharma

पहलवानों से बदसलूकी गलत, केंद्र बातचीत शुरु करे

akb fullदिल्ली के जंतर मंतर पर बुधवार की रात जिस तरह से पुलिसवालों ने देश के लिए मेडल जीतनेवाले पहलवानों के साथ बदसलूकी और गाली-गलौज की, वह किसी जुल्म से कम नहीं है । इन चैंपियन पहलवानों के साथ जो कुछ भी हुआ उसे देखकर किसी को भी दुख होगा। मेडल जीतने वाली महिला पहलवानों की आंखों में आंसू देखकर किसी का भी दिल रोएगा। मुझे लगता है उस रात इनके साथ ज़ुल्म हुआ। मैं मान सकता हूं कि पहलवानों के इस दंगल में अब आम आदमी पार्टी ज़ोर आज़माने के लिए कूद गई है। यह भी समझ में आता है कि मनीष सिसोदिया के जेल जाने से और अपने नए घर पर खर्च की डीटेल सामने आने से केजरीवाल काफ़ी परेशान हैं। बाज़ी पलटने के लिए वे पहलवानों का इस्तेमाल करना चाहते हैं। मैं ये भी मान सकता हूं कि दीपेंद्र हुड्डा पहलवानों को उकसा रहे हैं, उनके धरने को हवा दे रहे हैं। जिस-जिसको मौक़ा मिल रहा है वो इन पहलवानों का इस्तेमाल मोदी सरकार को नीचा दिखाने के लिए कर रहा है। लेकिन, क्या इस मामले को समझदारी के साथ हैंडल नहीं किया जाना चाहिए था? क्या, खेल मंत्री को इस मामले को सुलझाने के लिए और ज़्यादा प्रयास नहीं करने चाहिए थे? कोई, पहलवानों के धरने का फ़ायदा न उठा पाए, इसके लिए सरकार को एक्स्ट्रा अलर्ट नहीं रहना चाहिए था? पुलिस की बदनामी न हो, इसके लिए क्या अधिकारियों को चतुराई से काम नहीं लेना चाहिए था? जंतर मंतर की बुधवार रात की तस्वीरों ने सरकार के विरोधियों के हाथ में मसाला दे दिया। आम जनता ऐसी तस्वीरों को देखकर, अपने चैंपियंस को रोते देखकर आहत होती है। कोई इन पहलवानों को ज़िद्दी कह सकता है, मिसगाइडेड मिसाइल कह सकता है, पर ये अपराधी नहीं हैं। य़े पहलवान समाज के दुश्मन नहीं हैं। इन्होंने देश का नाम रौशन किया है। इसलिए, अगर इन्होंने कोई ग़लती की भी है, तो इन्हें रियायत देनी चाहिए। सरकार को इनसे बात करके, इस मामले को जल्दी से जल्दी सुलझाना चाहिए।

कर्नाटक में बजरंगबली का असर

कर्नाटक की अपनी चुनाव रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजरंगबली का जयकारा किया, तो कांग्रेस ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करा दी । कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मोदी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। लेकिन एक बात कहनी पड़ेगी कि मोदी में बजरंगबली का जयकारा लगा कर कर्नाटक के चुनाव में हवा बदल दी है। कल तक जो कांग्रेस पूरी तरह आक्रामक थी, वह अब बचाव की मुद्रा में आ गई है। अब सफाई दी जा रही है कि बजरंग दल पर बैन लगाने की बात कांग्रेस ने नहीं कही। प्रियंका गांधी लोगों से कह रही हैं कि बीजेपी के प्रचार पर ध्यान न दें । लेकिन हनुमान चालीसा की गूंज तो गली-गली में सुनाई दे रही है । बीजेपी के समर्थक कर्नाटक के कई शहरों में हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं। अब कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार कह रहे हैं कि हम भी आंजनेय (बजरंगबली) के मंदिर बनवाएंगे। कुल मिलाकर कांग्रेस अब बीजेपी के एजेंडे पर खेल रही है और अपने मुद्दों को भूल गई है । अब लोग बजरंगबली को कैसे भूलेंगे? ज़ाहिर है इस मामले में बीजेपी का पलड़ा भारी है और कांग्रेस को नुकसान हो सकता है ।

बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण पर रोक

पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को बिहार में चल रहे जाति आधारित सर्वेक्षण पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया। चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने कहा- ‘प्रथम दृष्टया हमारी राय है कि राज्य के पास जाति आधारित सर्वेक्षण करने की कोई शक्ति नहीं है और जिस तरह से यह किया जा रहा है वह एक जनगणना के समान है और ऐसा करना संघ की विधायी शक्ति का अतिक्रमण होगा।’ खंडपीठ ने कहा- ‘सरकार की ओर से जारी अधिसूचना से हम यह भी देखते हैं कि सरकार राज्य विधानसभा के विभिन्न दलों, सत्ता पक्ष और विपक्षी दल के नेताओं के साथ सूचनाएं साझा करना चाहती है, जो कि बहुत चिंता का विषय है।’ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने इस साल जनवरी से बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण का काम शुरु कराया था । उस वक्त सरकार ने कहा था कि विभिन्न जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलने से वंचित समूहों के लिए बेहतर नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। ये बात सही है कि जिस वक्त जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का फैसला हुआ था, उस वक्त नीतीश कुमार बीजेपी के साथ थे। बीजेपी ने भी जाति आधारित सर्वेक्षण पर सहमति जताई थी। लेकिन यह भी सही है कि इस सर्वेक्षण पर अब हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने साफ कहा है कि सरकार यह बताने में नाकाम रही है कि आखिर जातिगत जनगणना क्यों कराना चाहती है? इसकी क्या जरूरत है? दूसरी बात ये कि अगर इस मुद्दे पर सभी पार्टियों की सहमति थी तो सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पास करने के बजाय इसे विधेयक के तौर पर पास क्यों नहीं करवाया? तीसरी बात कोर्ट ने कही कि जातिगत जनगणना से निजता के उल्लंघन की पूरी आशंका है इसलिए इस सर्वेक्षण को फिलहाल रोकना जरूरी है। कुल मिलाकर अब यह मामला लटक गया है और अब इस मुद्दे पर सियासत होगी कि जातीय जनगणना किसके कारण रुकी।

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