Rajat Sharma

नये अपराध कानून : इतिहास अमित शाह को याद रखेगा

akb0710 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपराधों से निपटने, इनकी जांच करने और गुनहगारों को सजा दिलाने के कानूनों को पूरी तरह बदलने का फैसला किया है. अब तक हमारे देश में हत्या, बलात्कार, चोरी, डकैती, जालसाजी जैसे संगीन अपराधों की जांच अंग्रेजों के द्वारा बनाई गई प्रक्रिया के आधार पर होती है. 75 साल से हमारे यहां अदालत में केसों की गवाही और सजा दिलाने की प्रक्रिया ब्रिटिश संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के आधार पर होती है.. 1860 की बनी indian Penal Code, 1872 में बना Evidence Act और 1898 में बनी Criminal Procedure Code आज भी लागू है ..अंग्रेजों द्वारा बनाए गए इन सारे फौजदारी कानूनों को पूरी तरह बदलने का प्रस्ताव अमित शाह ने संसद में पेश किया. अब बेटियों के साथ हैवानियत करने वालों को फांसी होगी. अब मॉब लिंचिंग करने वालों को सख्त सजा मिलेगी. अब कोर्ट में तारीख पर तारीख का सिलसिला खत्म होगा. गुनहगारों को सजा जल्दी मिलेगी और पीड़ितों को इंसाफ मिलने में देरी नहीं होगी.अमित शाह ने बताया कि ये कानून नए सिरे से लिखने के लिए उन्होंने बड़े पैमाने पर हाईकोर्ट्स, पुलिस अफसरों और जनता के प्रतिनिधियों से विचार विमर्श किया. ये काम कितना बड़ा है इसका अंदाजा आपको इस बात से होगा कि अमित शाह ने पिछले चार साल में 158 ऐसी बैठकें की जहां सीआरपीसी, आईपीसी और एविडेंस एक्ट को नया रूप देने के लिए मशविरे हुए. अमित शाह ने संसद को बताया कि उन्होंने इन कानूनों की एक एक पंक्ति पढ़ी. अब कानूनों में बदलावों के बाद अदालतें पूरी तरह से डिजिटल होंगी. आम लोगों को न्याय के लिए सालों साल, पीढ़ी दर पीढ़ी इंतजार नहीं करना पड़ेगा. अब लोगों को अदालतों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. घर बैठे केस की सुनवाई भी होगी, गवाही भी होगी और फैसला भी होगा. अब सबूतों के अभाव में अपराधी बरी नहीं होंगे और केस प्रॉपर्टी के तौर पर जब्त किए गए सामान को पुलिस थानों के मालखानों में कबाड़ की तरह रखने की जरूरत नहीं होगी. इनका डिजिटल साक्ष्य कोर्ट में पेश किया जा सकेगा. मतलब ये कि अब देश में न्याय प्रक्रिया तेज, पारदर्शी और आसान होगी. अमित शाह ने जो तीन बिल लोकसभा में पेश किए., वे अब संसद की स्थायी समिति के पास जाएंगी. जब ये कानून की शक्ल लेंगे तो न्याय व्यवस्था में जबरदस्त बदलाव दिखेगा. अदालतों में लगने वाली भीड़ खत्म होगी. दशकों से लटके मामले, केस की फाइलें अब डिजिटल हो जाएंगी. सरकार कानूनों में जो बदलाव करने जा रही है. उसका आपके जीवन पर काफी असर पड़ेगा.. आम लोगों को न्याय मिलना आसान होगा. पुलिस का काम पारदर्शी होगा. सबूतों के साथ छेड़छाड़ और सबूतों को नष्ट होने से रोका जाएगा. अमित शाह ने कहा कि इन बदलावों का मकसद ये है कि लोगों को न्याय तेज़ी से मिले, बेगुनाहों को परेशानी ना हो, दोषी बचें नहीं और कन्विक्शन रेट बढ़े. इस बात का एहसास तो पहले भी था कि हमारी आपराध प्रक्रिया संहिता पुरानी है . अंग्रेजों के जमाने की है, लेकिन अमित शाह की बात सुनकर तो रोंगटे खड़े हो गए. यकीन ही नहीं हुआ कि हम 75 साल से पुराने कानूनों को लेकर काम चला रहे हैं.. वो कानून जिनका अंग्रेजों की पुलिस बड़ी आसानी से बेजा इस्तेमाल करती थी और आज की पुलिस भी करती है, वो कानून जिनका आज अपराधी पूरा फायदा उठाते हैं, कड़ी सजा से बच जाते हैं, ये कानून ऐसे हैं कि पीड़ित को लगने लगता है कि शायद उसने कोई गुनाह किया हो, वो कानून जिसके तहत अपराधी को सजा दिलाने में लोगों की सारी जायदाद बिक जाती है, इंसाफ के लिए लड़ते लड़ते, जिंदगी के कीमती साल बर्बाद हो जाते हैं, गवाह थक जाते हैं, परेशान हो कर हार मान लेते है, तारीख पे तारीख का सिलसिला चलता रहता है,. .आप निर्भया के केस को याद कीजिए. सारा देश निर्भया की मां के साथ खड़ा था.. पूरी सरकार हत्यारों को सजा दिलाना चाहती थी. पुलिस पर जबरदस्त दवाब था. ये ओपन एंड शट केस था. सारे सबूत थे, गवाह थे तो भी दरिंदों को फांसी तक पहुंचाने में 7 साल 3 महीने लग गए. ये वो केस है जो सारी दुनिया के सामने था .ये तो वो केस है जो फास्ट ट्रैक में था लेकिन अपील पर अपील होती रही .निर्भया की मां एक से दूसरी अदालत में दौड़ती रही .जेसिका लाल के केस में क्या हुआ हम सबने देखा, ऐसे हजारों केस हमारे और आपके सामने हर रोज आते हैं. जिनमें पूरा सिस्टम सिर्फ न्याय में देरी कराने का काम करता है, कभी सबूतों को लेकर, कभी फॉरेन्सिक जांच को लेकर, कभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर, कभी केस की प्रॉप्रटी को लेकर सवाल उठते रहते हैं. केस में तारीख पर तारीख लगती जाती थी. अपराधियों को जमानत मिल जाती थी, और जिसके परिवार के साथ अपराध हुआ वो अपने आपको बचाता फिरता था. हम मान कर बैठ जाते थे कि ऐसे ही चलता है, क्या करें कानून ही ऐसा है. मैं अमित शाह की तारीफ करूंगा कि उन्होंने गुलामी की निशानी से भरे इन कानूनों में आमूल चूल परिवर्तन किया. सिर्फ संशोधन नहीं किये, इन्हें पूरी तरह फिर से लिखवाने का काम किया. सबसे अच्छी बात ये है कि अब नए कानून में सबसे पहला चैप्टर महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों को लेकर होगा और इससे पूरे फौजदारी कानून की अप्रोच बदल जाएगी. अगर अमित शाह ने संसद में जो कहा वो वाकई में हो गया, तो ये एक क्रांतिकारी काम होगा अदालतों मे इंसाफ के लिए भटक रहे करोड़ों लोगों को राहत मिलेगी. इतिहास अमित शाह को याद रखेगा.

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