Rajat Sharma

चीन मोदी के अमेरिका दौरे को लेकर परेशान क्यों है ?

akb full_frame_60183व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को औपचारिक स्वागत समारोह से कुछ ही घंटे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति का कार्यालय से ये कहा गया कि मोदी की यात्रा से “ भारत-प्रशांत क्षेत्र को समृद्ध और सुरक्षित बनाने का साझा संकल्प मजबूत होगा और दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के बीच गहरी और प्रगाढ़ साझेदारी को बल मिलेगा”. मोदी और बाइडेन आज एक साझा प्रेस कांफ्रेंस में भारत को Reaper ड्रोन बेचने के एक बड़े सौदे का ऐलान करने वाले हैं. ये ड्रोन घातक मिसाइलों से लैस है , 50 हजार फीट ऊंचाई तक जा सकता है और 1,746 किलो वज़न का सामान उठा सकता है. ये आसमान में 27 घंटे तक उड़ सकता है. अमेरिका राष्ट्रपति के कार्यालय में बाइडेन और मोदी के बीच औपतारिक वार्ता के कुछ ही घंटे पहले एक अमेरिकी अदिकारी ने ऐलान किया कि NASA और ISRO अंतरिक्ष के क्षेत्र में Artemis Accords के तहत मिल कर काम करेंगे और अगले साल अन्तरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की तरफ एक साझा मिशन भेजेंगे. मोदी और बाइडेन के बीच इस ऐतिहासिक शिखर वार्ता के दौरान उस समझौते पर भी मुहर लगेगी, जिसके तहत अमेरिकन कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक भारत में लड़ाकू विमानों के लिए GE F414 जेट इंजिन बनाएगा. अमेरिका में प्रधानमंत्री मोदी के अगले 48 घंटे भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. ये कहना आसान है कि मोदी अमेरिका में जो सौदे करेंगे उससे अमेरिका को ज्यादा फायदा होगा. ये कहना भी सरल है कि अमेरिका भारत का इस्तेमाल अपनी ताकत बढ़ाने के लिए करेगा. सच तो ये है कि भारत ने यूक्रेन युद्ध में निरपेक्ष रहकर दुनिया को बता दिया कि न तो वो किसी के दबाव में आता है, न कोई देश मोदी का इस्तेमाल कर सकता है. जहां तक अमेरिका की जरूरत की बात है, तो अमेरिका को हमारी जितनी जरूरत है, उससे कहीं ज्यादा हमें अमेरिका की जरूरत है. बगैर जरूरत के कोई देश रिश्तों पर इतना वक्त क्यों लगाएगा. उदाहरण के तौर पर भारत की सबसे बड़ी जरूरत है, रोजगार के वसर पैदा करना, इसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर में जिस तरीके के निवेश की जरूरत है, जैसे मैन्युफैक्चिंग को बढ़ाने की आवश्यकता है और विश्व व्यापार को बढाने की जरूरत है, इन सब मामलों में अमेरिका की एक बड़ी भूमिका होगी. सिर्फ इसलिए अमेरिका के दौरे का विरोध करना ठीक नहीं होगा कि भारत आर्थिक मोर्चों पर मजबूत हो जाएगा, मोदी को इसका श्रेय मिल जाएगा और चुनाव में उन्हें फायदा हो जाएगा. आज इससे कहीं आगे बढ़कर सोचने की जरूरत है. एक और उदाहरण लें, भारत के सामने सुरक्षा की चुनौती का. ऐसे वक्त में जब हमें चीन से खतरा है, चीन की वैश्विक महत्वाकांक्षाएं हैं, चीन की विस्तारवादी नीति है, अगर भारत को चीन का मुकाबला करना है तो अमेरिका के समर्थन की जरूरत होगी. इसको नकारने से कोई फायदा नहीं होगा. हमारी सशस्त्र सेनाओं को अगर चीन का बेहतर तरीके से मुकाबला करना है तो हथारों का आधुनिकीकरण करना होगा, बेहतर इक्यूप्मेंट और बेहतर इंटेलीजेंस की जरूरत होगी. इस मामले में अमेरिका का अनुभव, अमेरिका की टेक्नोलॉजी हमारे काम आएगी. इसीलिए चीन नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे को लेकर परेशान है.

मोदी की अमेरिका यात्रा पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया हैरान करने वाला है

बुधवार को न्यूयॉर्क में अमेरिकी में नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री प्रो. पॉल रोमर, मशहूर एस्ट्रोफिजिसिस्ट और लेखक नील द ग्रास टायसन, टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क और अन्य बड़े अमेरिकी कारोबारियों ने भारत के प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद उनकी तारीफ की. ये भारत के लिए गर्व की बात है. अगर नरेंद्र मोदी के प्रयास से यूनाइटेड नेशंस के परिसर में योग का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना तो ये हमारे देश का सम्मान है, मोदी के प्रयास की सफलता है. अगर अमेरिका के राष्ट्रपति व्हाइट हाउस में मोदी का दिल खोलकर स्वागत करते हैं, उनके सम्मान में 8 हजार लोगों को आमंत्रित करते हैं, तो ये भारत का स्वागत है, भारत का सम्मान है. अगर भारत के प्रधानमंत्री अमेरिकन कांग्रेस को दूसरी बात संबोधित करते हैं, ऐसा करने वाले वो दुनिया के तीसरे राजनेता बन जाएंगे, तो ये 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है. लेकिन मुझे हैरानी हुई कि देश पर 60 वर्ष से ज्यादा शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी को ये सब अच्छा नहीं लगा. पहले कांग्रेस की तरफ से पंडित जवाहर लाल नेहरू का फोटो जारी किया गया जिसमें भारत के पहले प्रधानमंत्री को योग करते हुए दिखाया गया. कांग्रेस ने कहा, देखिए कैसे पंडित नेहरू ने योग को राष्ट्रीय नीति का हिस्सा बनाया. असल में कांग्रेस कहना चाहती है कि योग को दुनिया में स्वीकृत कराने का श्रेय मोदी को क्यों दिया जा रहा है. दिलचस्प बात ये कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ही इसका जवाब दे दिया. शशि थरूर ने कहा कि योग को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय ने जबरदस्त प्रयास किया. फिर कांग्रेस ने एक और वीडियो जारी किया जिसमें दिखाया गया कि जब प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू दो बार अमेरिका गए तो अमेरिका के राष्ट्रपति उन्हें रिसीव करने एयरपोर्ट आए थे. इसके पीछे दबा हुआ संदेश ये है कि देखो, मोदी को रिसीव करने जो बाइडेन नहीं आए. वर्षों तक शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी को ये तो पता होना चाहिए कि 1949 से लेकर 2023 के बीच परिस्थितियां कितनी बदल चुकी हैं, सुरक्षा के प्रोटोकॉल कितने बदल चुके हैं, कांग्रेस के नेताओं को न्यूयॉर्क में ‘मोदी मोदी’ के नारे अच्छे नहीं लगे, न ही अमेरिका के जाने-माने लोगों ने मोदी की जो तारीफ की वो रास आई. कांग्रेस की तरफ से एक पत्र जारी किया गया जिसमें अमेरिका के 75 सेनेटर और अन्य सांसदों ने राष्ट्रपति बाइडेन से कहा कि जब वो मोदी से मिलें तो भारत में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता और प्रेस फ्रीडम जैसे विषयों पर बात करें, लेकिन न तो भारत सरकार ने, न ही अमेरिका ने इस बात पर या इस चिट्ठी पर कोई रिएक्शन दिया. अमेरिका की नेशनल सिक्य़ोरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये अमेरिका दौरा दोनों देशों के बीच रिश्तों का एक नया इतिहास लिखेगा.

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