Rajat Sharma

ओलंपिक: शाबाश भारत!

akbटोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतकर इतिहास रचनेवाले खिलाड़ी सोमवार को जब देश वापस लौटे तो दिल्ली में उनका भव्य स्वागत हुआ। इन खिलाड़ियों को सरकार की ओर से अशोक होटल में आयोजित एक भव्य समारोह में सम्मानित किया गया। तीन केंद्रीय मंत्रियों किरेन रिजिजू, अनुराग ठाकुर और निसिथ प्रामाणिक ने इन खिलाड़ियों को बधाई दी और इन्हें सम्मानित किया।

इस अवसर पर खेल और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘ओलंपिक के इन नायकों की यात्रा उनके आत्म-अनुशासन और खेल उत्कृष्टता की अविश्वसनीय कहानी है।.. टोक्यो 2020 में भारत ने पहली बार कई अभूतपूर्व सफलताएं अर्जित की। ओलंपिक में ‘टीम इंडिया’ की सफलता इस बात को दर्शाती है कि कैसे नया भारत दुनिया पर हावी होने की इच्छा और आकांक्षा रखता है, यहां तक कि खेल में भी। … ओलंपिक खेलों ने हमें दिखाया कि आत्म-अनुशासन और समर्पण के बल पर हम चैंपियन बन सकते हैं। खेल हमें एकजुट रखने का एक बड़ा माध्यम है, क्योंकि हमारे एथलीट देश के विभिन्न इलाकों से आते हैं, चाहे उत्तर हो या दक्षिण, पूरब हो या पश्चिम, चाहे गांव हो या शहर । “

इस समारोह में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली पुरुष हॉकी टीम के साथ ही चौथे स्थान पर रही महिला हॉकी टीम की खिलाड़ियों ने भी केक काटकर जश्न मनाया। पुरुष हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने कहा- ‘बहुत अच्छा लगता है, मैं सरकार, स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI)और इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (IOA) को हमारे क्वारंटीन के दौरान मदद करने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। उन्होंने हमें पूरा सहयोग दिया।’

ओलंपिक के जैवलिन थ्रो (भाला फेंक स्पर्धा) में गोल्ड मेडल जीतनेवाले नीरज चोपड़ा इस पूरे समारोह में आकर्षण का केंद्र रहे। सभी की निगाहें नीरज चोपड़ा की ओर थीं। नीरज समेत अन्य मेडल विजेताओं और एथलीट्स को दिल्ली एयरपोर्ट से बाहर निकलने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। एयरपोर्ट के बाहर बड़ी तादाद में लोग अपन नायकों की एक झलक पाने को बेताब थे। एयरपोर्ट के अंदर और बाहर प्रशंसकों की भारी भीड़ के बीच से रास्ता बनाकर इन खिलाड़ियों को बाहर निकला गया। इस दौरान उत्साह से भरे प्रशंसकों ने जोर-जोर से नारे लगाए। कुछ लोग ढोल बाजे के साथ नाच रहे थे। एथलीट्स को बसों से होटल ले जाया गया जहां इनके लिए सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था।

टोक्यो ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन पर जश्न मनाना जायज़ है क्योंकि पहली बार देश ने ट्रैक और फील्ड में गोल्ड मेडल जीता। इतना ही नहीं इस ओलंपिक में अबतक सबसे ज्यादा मेडल बटोरकर लाने का रिकॉर्ड भी बनाया। खिलाड़ियों ने एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल जीते। 41 साल के सूखे के बाद पुरुष हॉकी टीम को ओलंपिक में मेडल जीतने में सफलता मिली। नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो (भाला फेंक) में गोल्ड, रवि कुमार दहिया ने कुश्ती और मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल जीता जबकि लवलीना बोरगोहेन (बॉक्सिंग), बजरंग पुनिया (कुश्ती), पीवी सिंधु (बैडमिंटन) और पुरुष हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता।

गोल्ड मेडल विजेता नीरज चोपड़ा ने कहा कि जैवलिन थ्रो के बाद उस दिन उनके शरीर में बहुत दर्द था लेकिन जब भी वह गोल्ड मेडल को देखते तो अपना हर दर्द भूल जाते थे। नीरज ने कहा-‘हम सभी खिलाड़ी मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं और हमारी तैयारियों के दौरान परिवारों का सपोर्ट जरूरी है।’ कांस्य पदक विजेता बॉक्सर और असम की रहनेवाली लवलीना बोरगोहेन ने कहा-‘मैं जानतीं हूं कि भारत के लोग बहुत खुश हैं लेकिन यहां वापस आने के बाद पहली बार इतना प्यार पाकर बहुत अच्छा लग रहा है। इस तरह के और मेडल जीतने की मैं पूरी कोशिश करूंगी।’

ओलंपिक में इस बार हम पहले से ज्यादा मेडल्स जीते। हमारे खिलाड़ियों ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया। मैं समझता हूं इसका सबसे बड़ा श्रेय खिलाडि़यों की प्रतिभा, मेहनत, उनका हौसला और उनके परिवार के त्याग को दिया जाना चाहिए। इस बार ओलंपिक में सात मेडल जीतकर हमारे खिलाड़ियों ने एथलेटिक्स, कुश्ती, हॉकी, बॉक्सिंग को एक नया जीवन दिया है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से इन खिलाड़ियों को जो सपोर्ट दिया गया उसे भी नहीं भूलना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने हर खिलाड़ी के प्रदर्शन में व्यक्तिगत रुचि ली और उनकी हौसलाअफजाई की। लगातार खिलाड़ियों का ध्यान रखा। उनकी ट्रेनिंग का लगातार अपडेट लिया। पीएम मोदी ने टोक्यो रवाना से पहले हर खिलाड़ी से बात की। ओलंपिक के कठिन मुकाबलों के बाद फिर खिलाड़ियों से बात की और उनका हौसला बढ़ाया। इस बात का भी पूरा ख्याल रखा कि एक भी खिलाड़ी कोरोना वायरस से संक्रमित न हों। मैं ऐसे खिलाड़ियों को जानता हूं जिनकी ट्रेनिंग, इक्विपमेंट के लिए एक-एक खिलाड़ी पर दो करोड़ से पांच करोड़ रुपये खर्च किए गए।

एक ज़माना था जब हमारे खिलाड़ी शिकायत करते थे कि उन्हें रेलवे स्टेशन पर खड़ी कोच में ठहराया गया था। बड़ा दुख होता था जब खिलाडियों की तकफ से कभी खाने की शिकायत होती थी, कभी कोचिंग न होने की, तो कभी स्टेडियम उपलब्ध न होने की । लेकिन इस बार एक भी खिलाड़ी ने ऐसी कोई शिकायत नहीं की। चाहे कोचिंग हो, ट्रेनिंग, ट्रैवल या फिर भोजन, कम से कम इन बातों को लेकर खिलाड़ियों को कोई कमी महसूस नहीं होने दी गई। सरकार ने मदद की, सिस्टम ने हौसला दिया और इसका असर हुआ। हमारे खिलाड़ियों ने गजब कर दिया।

छोटे-छोटे कस्बों और दूर-दराज के गांवों से निकलकर आईं गरीब घरों की लड़कियां ओलंपिक में मेडल जीत कर लौटीं। छोटे-छोटे शहरों से और गांवों से आए खिलाड़ियों ने मेडल जीते। इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि मेडल जीतने वाले खिलाड़ी दूसरों को प्रोत्साहित करेंगे, मौजूदा और आनेवाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेंगे। अब हर राज्य, हर शहर और हर गांव से खिलाड़ी निकलेंगे। अब तक सिर्फ क्रिकेट का ग्लैमर था लेकिन अब बॉक्सिंग, हॉकी, कुश्ती का ग्लैमर होगा और एथलेटिक्स में लोग आगे आएंगे। क्योंकि 135 करोड़ का देश सिर्फ सात मेडल से संतोष नहीं कर सकता। मुझे उम्मीद है कि 2024 के पेरिस ओलंपिक में हमारा प्रदर्शन और भी बेहतर होगा।

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