मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बडा दिल दिखाया, मुख्यमंत्री होने की जिम्मेदारी निभाई, मध्य प्रदेश के उस आदिवासी शख्स के पांव धोकर, गले लगाकर माफी मांगी जिस पर एक हैवान द्वारा पेशाब करने का वीडियो सामने आया था. शिवराज सिंह चौहान ने इस आदिवासी भाई से कहा कि घटना को देखकर उनका सिर शर्म से झुक गया, बहुत दुख हुआ, पीड़ा हुई, अपने दिल पर पड़े बोझ को हल्का करने के लिए वो उसके पांव धोना चाहते हैं, उससे माफी मांगना चाहते हैं क्योंकि उनके शासन में एक गरीब आदिवासी के साथ इस तरह का अमानवीय सलूक हुआ. कुछ लोगों को ये बात साधारण लग सकती है, लेकिन एक मुख्यमंत्री के लिए, पूरे सूबे के मुखिया के लिए, इस तरह कैमरों के सामने गलती मानने के लिए, आदिवासी के चरणों में बैठकर उससे माफी मांगने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए. आदिवासियों, दलितों, गरीबों के साथ इस तरह के जुल्मों की खबरें सभी राज्यों से अक्सर आती हैं. कभी किसी दूल्हे की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी जाती है क्योंकि उसने घोड़ी पर चढ़ने की हिम्मत दिखाई, हैंडपंप से पानी लेने पर एक दलित बच्चे की हत्या कर दी जाती है, थूक कर चटवाया जाता है, पेशाब पीने को मजबूर किया जाता है, दलित को मंदिर में घुसने की जुर्रत करने पर पीटा जाता है, लेकिन मैंने कभी किसी मुख्यमंत्री को इस तरह गलती मानते हुए, प्रायश्चित करते हुए, माफी मांगते हुए नहीं देखा. शिवराज सिंह चौहान ने जो किया, वो बड़ी बात है. दो दिन पहले मैंने जब इस घटना का वीडियो देखा था, तो तस्वीरें देखकर गुस्सा आया, दुख हुआ, ये सोच कर ग्लानि हुई कि हम कैसे समाज में रहते है, लेकिन आज जब शिवराज सिंह के साथ दशमत की तस्वीरें देखीं तो सुकून मिला. सीधी जिले के कुबरी गांव से शमत जब भोपाल में मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचे, तो उनकी अगवानी के लिए खुद मुख्यमंत्री चौहान गेट पर खड़े थे. दशमत को शिवराज हाथ पकड़ कर घर के अंदर ले गए, ड्राइंगरूम में सोफे पर बैठाया, फिर खुद उसके पैंरो के पास स्टूल पर बैठे. ये सब देखकर दशमत बहुत असहज दिख रहे थे क्योंकि वो तो कभी अपने गांव से बाहर नहीं निकले थे, पहली बार भोपाल आए थे, और सीधे मुख्यमंत्री आवास पहुंचे. मुख्यमंत्री उनके चरणों में बैठे थे, इसलिए दशमत की जो हालत थी, वो किसी की भी हो सकती थी. चौहान ने दशमत के पैर पखारने के लिए थाली मंगवाई, पानी मंगवाया और दशमत के पैर पकड़े, तो उसने संकोचवश पैर पीछे खींच लिए. लेकिन शिवराज ने कहा कि वो प्रायश्चित करना चाहते हैं, पैर आगे करिए, थाली में पैर रखिए. दशमत ने डरते हुए पैर आगे किए, मुख्यमंत्री ने बिना किसी संकोच या दंभ के, पूरी विनम्रता के साथ दशमत के पैर धोए. फिर थाली के पानी को माथे से लगाया. दशमत के पैर पोंछे, उन्हें माला पहनाई, शॉल ओढ़ाया, श्रीफल दिया, कांसे की गणेश प्रतिमा भेंट की, हाथ जोड़ कर माफी मांगी, गले लगाया. फिर उनके बगल में बैठकर दशमत का मुंह मीठा करवाया. बार बार कहा कि दशमत आप मेरे लिए सुदामा जैसे हो, आपके साथ जो हुआ, जिस दिन से वो वीडियो देखा तो मन व्यथित था, दिल पर बोझ था, आज आपके पैर धोकर, प्रायश्चित करके मन हल्का हुआ है, आप मुझे माफ कर दो. शिवराज सिंह चौहान ने जिस तरह दशमत से बार बार माफी मांगी. उनके साथ जो सलूक हुआ, उसके लिए खेद जताया, वो वाकई दिल को छूने वाला था. दशमत के पैर पखारने के बाद, उसका सम्मान करने के बाद शिवराज ने दशमत को विदा नहीं किया, उन्हें अपने साथ डायनिंग रूम में ले गए, दशमत को साथ बैठाकर खाना खिलाया. शुरू में दशमत कुछ डरे डरे लग रहे थे, लेकिन शिवराज सिंह के व्यवहार ने उन्हें सहज कर दिया. उन्होंने खुलकर मुख्यमंत्री के सामने अपने दिल की बात रखी. शिवराज सिंह ने दशमत से पूछा कि अब तो बता दो कि माफी मिली कि नहीं, माफ किया या नहीं, अब गुस्सा तो नहीं हो, दशमत ने कहा, नहीं अब कोई नाराजगी नहीं है, उन्हें तो उम्मीद ही नहीं थी कि वो सरकार के मंत्री से मिलेंगे, मंत्री उनके पैर धोएगा. शिवराज ने कहा कि अब तो वो उनके दोस्त हैं. पूछा, कोई दिक्कत तो नहीं है, क्या करते हो, कितना कमाते हो, खर्चा चल जाता है, कितने बच्चे हैं, किस क्लास में पढ़ते हैं, वजीफा मिलता है या नहीं, सरकारी दुकान से राशन से मिलता है या नहीं. शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार उनके साथ हैं., वो तो उनके दोस्त हैं, इसलिए अगर कभी कोई दिक्कत हो, तो तुरंत बताना. इस पूरी घटना से एक सीख मिलती है. इंसान गरीब हो या अमीर, दलित हो, सवर्ण हो, पिछड़ा हो, हिन्दू हो, मुसलमान हो, कोई भी हो, किसी इंसान के ऊपर कोई पेशाब कैसे कर सकता है? इस तरह की हरकत को सभ्य समाज में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, इसीलिए सीधी से जो वीडियो आया, उसकी हर किसी ने आलोचना की. शिवराज सिंह चौहान ने भी तुंरत एक्शन लिया. इस तरह की अमानवीय हरकत करने वाले प्रवेश शुक्ला को NSA लगा कर जेल भेजा और उसके घर के गैरकानूनी हिस्से पर बुलडोजर चलवा दिया. आदिवासी दशमत को घर बुलाकर उसके पैर धोकर माफी मांगी. इससे जो संदेश गया, वो साफ है, सरकार गरीबों, आदिवासियों के सम्मान से समझौता नहीं करेगी. इन लोगों पर जुल्म करने वालों को छोड़ेगी नहीं. कमलनाथ और दिग्विजय सिंह तो दो दिन से सीधी की घटना को आदिवासियों के अपमान का मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने आज उनकी मुहिम की हवा भी निकाल दी. इसीलिए वो अब शिवराज के एक्शन को नौटंकी बता रहे हैं, उनकी मजबूरी भी समझी जा सकती है. मध्य प्रदेश में चुनाव है, आदिवासियों का वोट एक करोड 75 लाख से ज्यादा है. कई सीटों पर आदिवासी जीत हार का फैसला करते हैं, इसलिए अब कांग्रेस चुनाव को ध्यान में रखकर शिवराज पर हमला कर रही हैं. मुझे लगता है कि सियासत के लिए मुद्दों की कमी नहीं है, बहुत से मसले हैं, इसलिए इस तरह की घटना पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. एक घटना के आधार पर पूरे समाज को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
यूनिफॉर्म सिविल कोड : सभी पक्ष धीरज रखें
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लॉ कमिशन को 74 पन्नों की एक चिट्ठी भेज कर कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के दायरे से न केवल सभी आदिवासी समुदायों को , बल्कि सभी अल्पसंख्यक समुदायों को भी बाहर रखा जाय. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने 22 पन्नों की चिट्ठी भेज कर कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के बहाने मुसलमानों को निशाना बनाने की कोशिश की जा रही है, उनके मजहबी रीति-रिवाज़, उनके तौर-तरीकों और उनकी मान्यताओं को बदलने की कोशिश की जा रही है, लेकिन शरियत क़यामत तक लागू रहेगी, मुसलमान किसी कीमत पर उससे छेडछाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे. मु्स्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की और उनसे इस मुद्दे पर कांग्रेस का स्टैंड साफ करने को कहा. बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड एक जटिल मसला है, इस पर जल्दबाजी ठीक नहीं होगी. इसे भारत में लागू करना आसान नहीं है. मैंने पिछले हफ्ते कहा था कि यूनीफॉर्म सिविल कोड पर बिल संसद के मॉनसून सत्र में आने की संभावना न के बराबर है. .इस बात के संकेत तो पहले ही मिल चुके हैं कि अगर ये कानून आया भी, तो इससे आदिवासियों को अलग रखा जाएगा, उनके अधिकारों, उनकी परंपराओं और संस्कृति पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं होगी. जहां तक दूसरे धर्मों और संप्रदायों का सवाल है तो ये भी बताया जा चुका है कि यूनीफॉर्म सिविल कोड का इससे कोई मतलब नहीं है किस धर्म के लोग शादी- ब्याह कैसे करते हैं, अन्तिम संस्कार का तरीका क्या है? दूसरी सामाजिक परंपराओं और रस्मों पर भी इसका कोई असर नहीं होगा. इसमें सिर्फ मोटी-मोटी बातें होंगे, शादी की उम्र सबके लिए बराबर हो, तलाक़ का कानूनी तरीका एक जैसा हो, दो-दो, चार-चार शादियों पर पाबंदी हो. सभी धर्मों में महिलाओं को भी वही हक मिलें जो पुरूषों को मिलते हैं. मुझे लगता है कि उत्तराखंड में यूनीफॉर्म सिविल कोड जल्दी ही लागू होगा, उत्तराखंड के कानून को ही केन्द सरकार आधार बनाएगी. उत्तराखंड में इस कानून के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया को देखगी. इसके बाद सभी दलों, सभी धर्मों के गुरूओं, मौलाना-मौलवी, सिख नेताओं, पादरियों और दूसरी धार्मिक संस्थाओं से सलाह मशविरा करने के बाद ही यूनीफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा, इसलिए इस मुद्दे को लेकर अफवाहों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए. .लॉ कमीशन की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए, उसके बाद ही ये स्पष्ट होगा कि अगर यूनीफॉर्म सिविल कोड आया तो उसमें क्या प्रावधान होंगे.