Rajat Sharma

भारत को बदनाम करने की अंतरराष्ट्रीय साज़िश

किसानों के मुद्दे पर बुधवार को रिहाना, ग्रेटा थुनबर्ग, पूर्व पोर्न स्टार मिया खलीफा, अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस द्वारा भारत सरकार के खिलाफ ट्वीट पर भारत सरकार ने कड़ा एतराज़ जताया। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि “कृषि कानूनों को संसद में बहस करने के बाद पास किया गया है। किसानों का एक छोटा सा वर्ग इनके खिलाफ आंदोलन कर रहा है। मुद्दे को सुलझाने के लिए सरकार इन किसानों के साथ बात कर रही है लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि कुछ लोग अपने निहित स्वार्थ के लिए किसान आंदोलन के बहाने अपना एजेंडा चला रहे हैं। किसान आंदोलन के दिन 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस जैसे पावन पर्व पर हिंसा की गई, दुनिया के कुछ शहरों में महात्मा गांधी की प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचाया गया लेकिन इसके बावजूद एक खास ग्रुप भारत के खिलाफ माहौल तैयार कर रहा है। भारत में भी जो हिंसा हुई उसमें कई पुलिसवाले घायल हुए। ऐसे में सेलीब्रेटीज से ये उम्मीद की जाती है कि वो कुछ भी कहने और लिखने से पहले मुद्दे की गहराई तक जाएंगे, उसके बारे में जानकारी लेंगे।“

AKB30 एक बार फिर भारत के खिलाफ अन्तरराष्ट्रीय साज़िश के नए सबूत सामने आए। आज एक बार फिर पता चला कि किसान आंदोलन की आड़ में भारत को बदनाम करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर प्लानिंग की गई। बुधवार को एनवायरमेंटल एक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबर्ग ने किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट किया लेकिन बाद में उन्होंने उस ट्वीट को तुरंत डिलीट कर दिया, जब Twitterati ने उन पर “भारत को बदनाम करने की अंतर्राष्ट्रीय साजिश” का हिस्सा होने का आरोप लगाया।

भारत समर्थकों ने ग्रेटा द्वारा अपना ट्वीट डिलीट किये जाने के बाद #GretaThunbergExposed शेयर किया। अपने ट्वीट में ग्रेटा ने लिखा था, ‘यदि आप मदद करना चाहते हैं, तो यह अपडेटेड टूलकिट है।‘ ग्रेटा ने Google डॉक्यूमेंट का एक लिंक शेयर किया जिसमें भारत के कृषि कानूनों के खिलाफ लोगों को जुटाने के लिए कई स्रोतों का उल्लेख किया गया था। अब हटा दिए गए इस डॉक्यूमेंट में किसानों की आवाज़ को ऑनलाइन पर बढावा देने के लिए अतीत में की गई कार्रवाइयों की एक सूची शामिल थी।

ग्रेटा द्वारा गलती से शेयर किये गये इस डॉक्यूमेंट से यह साबित होता है कि कैसे पॉप स्टार रिहाना और अन्य हस्तियों द्वारा भारत में किसानों के विरोध के समर्थन में किए गए ट्वीट स्वत:स्फूर्त नहीं थे, बल्कि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने के एक बड़े पीआर अभियान का हिस्सा थे। यह एक सुनियोजित, पहले से तयशुदा कैम्पेन का हिस्सा था। इसके जरिए 26 जनवरी (भारत के गणतंत्र दिवस) को “ग्लोबल डे ऑफ एक्शन” का आह्वान किया गया था, जिसका मुख्य उदेश्य “कॉर्पोरेट हितों के पक्ष में अपने नागरिकों का उत्पीड़न, प्रेस की आज़ादी पर रोक और स्वतंत्र पत्रकारों का उत्पीड़न, राष्ट्रवाद को नुकसान पहुंचाने वाले सरकार के आलोचकों का उत्पीड़न” जैसे मुद्दों को दुनिया भर में उछालना था।

इस डॉक्यूमेंट के जरिए भारत की छवि को धूमिल करने की कोशिश की गई। इसने भारत के “योग और चाय” वाली छवि को भी चोट पहुंचाने की कोशिश की गई। इस पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन में भारत को बदनाम करने के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसे कनाडा के वैंकूवर स्थित एक पीआर विशेषज्ञ खालिस्तानी समर्थक मो धालीवाल ने तैयार किया था। वह खुद को स्काईरॉकेट डिजिटल का स्ट्रैटेजी निदेशक बताता है। उसका ट्विटर हैंडल कहता है, वह “दिन में ब्रांड और डिजिटल प्रोडक्ट्स का निर्माण करता है, और रात में आंदोलन करता है”।

किसानों के मुद्दे पर बुधवार को रिहाना, ग्रेटा थुनबर्ग, पूर्व पोर्न स्टार मिया खलीफा, अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस द्वारा भारत सरकार के खिलाफ ट्वीट पर भारत सरकार ने कड़ा एतराज़ जताया। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि “कृषि कानूनों को संसद में बहस करने के बाद पास किया गया है। किसानों का एक छोटा सा वर्ग इनके खिलाफ आंदोलन कर रहा है। मुद्दे को सुलझाने के लिए सरकार इन किसानों के साथ बात कर रही है लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि कुछ लोग अपने निहित स्वार्थ के लिए किसान आंदोलन के बहाने अपना एजेंडा चला रहे हैं। किसान आंदोलन के दिन 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस जैसे पावन पर्व पर हिंसा की गई, दुनिया के कुछ शहरों में महात्मा गांधी की प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचाया गया लेकिन इसके बावजूद एक खास ग्रुप भारत के खिलाफ माहौल तैयार कर रहा है। भारत में भी जो हिंसा हुई उसमें कई पुलिसवाले घायल हुए। ऐसे में सेलीब्रेटीज से ये उम्मीद की जाती है कि वो कुछ भी कहने और लिखने से पहले मुद्दे की गहराई तक जाएंगे, उसके बारे में जानकारी लेंगे।“

बॉलीवुड हस्तियां अक्षय कुमार, अजय देवगन, सुनील शेट्टी, करण जौहर, एकता कपूर और क्रिकेट आइकन सचिन तेंदुलकर ने अपने ट्वीट में इस तरह के सोशल मीडिया अभियान का विरोध किया और भारतीयों से अपनी समस्या का हल खुद निकालने और बाहरी लोगों को किसानों के मसले से दूर रहने का आह्वान किया। रिहाना, ग्रेटा और उनके जैसे अन्य लोग शायद ही किसानों के मुद्दों की पेचीदगियों के बारे में ज्यादा जानते हों, लेकिन उन्हें कनाडा में बैठे एक खालिस्तानी समर्थक के पीआर कैम्पेन का हिस्सा बना दिया गया।

बुधवार की रात को अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में, मैंने कई ऐसे वीडियो दिखाए जो राष्ट्रविरोधी तत्वों द्वारा रची गई लाल क़िले वाली साजिश के सबूत हैं। गणतंत्र दिवस से कई दिन पहले, ये दंगाई पंजाब के गांवों में घूम-घूमकर किसानों को दिल्ली पहुंचने और ‘लाल किले पर कब्जा’ करने के लिए उकसाते रहे। इन दंगाईयों ने गांव वालों के कहा कि अब तक प्रधानमंत्री लाल किले से राष्ट्रीय ध्वज फहराते थे, और अब उसी लाल क़िले से झंडा फहराने की हमारी बारी है।

इसे अंजाम देने के लिए एक प्रशिक्षित व्यक्ति को दिल्ली लाया गया। 23 साल का जुगराज सिंह पंजाब के तरन तारन जिले के वन तारा सिंह गांव का रहने वाला है, ओर वह गुरद्वारों के खंभों और गुम्बदों पर चढ कर पवित्र निशान साहिब फहराने की महारत रखता है। जुगरात सिंह कई साल पहले बेंगलुरु में एक मामूली कर्मचारी था। वह की महीने पहले पंजाब लौट आया और गांव में बने गुरुद्वारों के खंभों और गुंबदों पर चढ़कर निशान साहिब फहराता था और पैसे कमाता था।

26 जनवरी को, जब दंगाइयों की उग्र भीड़ लाल किले की प्राचीर में प्रवेश करने लगी, जुगराज सिंह एक धार्मिक झंडा और एक पीले रंग का बैनर लेकर आगे बढ़ा, और देखते ही देखते कुछ ही मिनटों में वह खंभे पर चढ़ गया और उन्हें फहरा दिया। जिस वक्त जुगराज सिंह पोल पर चढ़कर झंड़ा फहरा रहा था उस वक्त भीड़ राष्ट्रविरोधी नारे नारे लगा रही थी और पहले से तयशुदा प्रोग्राम के मुताबिक उसी जगह से पूरी वारदात को फेसबुक पर लाइव किया जा रहा था। इसकी जिम्मेदारी दी गई थी पंजाबी एक्टर और एक्टिविस्ट दीप सिद्धू को। दीप सिद्धू को वहां कब तक रूकना है, कितने टाइम के बाद वहां से भागना है, कैसे भागना है सब कुछ तय था और सब वैसे ही हुआ।
दीप सिद्धू ने लालकिले की प्राचीर पर तिंरगे की जगह दूसरा झंडा फहराने की तस्वीरों को लाइव किया और फिर वहां से बाइक पर भागा। अभी दीप सिद्धू फरार है, पुलिस उसे खोज रही है। दीप सिद्धू आजकल अचानक फेसबुक पर अपना वीडियो अपलोड करता है। उसने हाल में जो वीडियो सर्कुलट किया है उसमें वो ये कह रहा है कि उसके पास पंजाब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता मदद के लिए आये थे। आंदोलन के दौरान और उससे पहले भी इन दोनों पार्टियों के नेताओं ने उससे सम्पर्क करने की कोशिश की थी।

इस साज़िश में तीसरा प्रमुख व्यक्ति लुधियाना का इकबाल सिंह था। इकबाल सिंह लालकिले की प्राचीर के सामने मैदान में भीड़ के बीच खड़ा था और वहीं से लाइव कर रहा था। वह भीड़ को लालकिले के अंदर दाखिल होने के लिए भड़का रहा था, लालकिले पर फतह करने की बात कह रहा था। इस शख्स ने 58 मिनट तक ये काम किया।
हमारे पास इकबाल सिंह के जो वीडियो हैं उनमें वह जिन शब्दों का इस्तेमाल कर रहा है, जिस तरह से लोगों को भड़का रहा है, वो हम आपको बता नहीं सकते। फिलहाल ये शख्स भी फरार है।

दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जो जवान लालकिले की सुरक्षा की ड्यूटी पर थे, उन्होने उग्र भीड़ को देखकर लाहौरी गेट की तरफ वाले तीनों दरवाजे बंद कर दिए थे। लोहे की मोटी रॉड बड़े दरवाजे के पीछे लगाई गई थी। उसके बाद लोहे की जंजीर भी लगी थी लेकिन इकबाल सिंह ने भीड़ को भड़काया और लालकिले के गेट को तोड़कर फतह हासिल करने के नारे लगवाए। कुछ ही देर बाद उन्मादी भीड़ ने लालकिले के गेट को तोड़ दिया। उसी दौरान इकबाल सिंह दूसरे लोगों के साथ मिलकर भीड़ से कह रहा था कि ‘टाप जाओ, गेट पर चढ जाओ। अब लाल किले के अंदर जाना है, अगर टाप नहीं पाते तो गेट तोड़ दो।‘

मैं ये नहीं कहता कि लालकिले पर जो हुआ वो किसान संगठनों के सारे नेताओं को पता था। जिस दिन ये घटना हुई उस दिन कई किसान नेताओं ने माफी मांगी, और 30 जनवरी को इस घटना के खिलाफ उपवास रखा। किसान संगठन के नेताओं को गलती का एहसास था जो हुआ उसका उन्हें दुख था। गणतंत्र दिवस पर हमारी राष्ट्रीय विरासत का अपमान करने से दंगाइयों को रोकने में वे क्यों असफल रहे, इसके बारे में उन्हें विचार करना चाहिए और लोगों को बताना चाहिए कि दंगाइयों को क्या सजा दी जानी चाहिए।

दुनिया में ऐसी कई ताक़तें हैं जो भारत की बढ़ती शक्ति से परेशान हैं। ये लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को विश्व के एक नेता के तौर पर नहीं देखना चाहते । पाकिस्तान को हम जानते हैं, चीन की चाल को हम पहचानते हैं लेकिन इनके अलावा इंटरनेशनल लेवल पर ऐसी बहुत सारी ताकतें हैं जो इस बात से परेशान है कि भारत कैसे एक महाशक्ति बनता जा रहा है। वो इस बात से हैरान है कि कोरोना की महामारी में भारत में लाशों के ढेर नहीं बिछे। वो इस बात पर परेशान हैं कि भारत ने दस महीने में कोरोना के प्रकोप पर कैसे काबू पा लिया। उन्हें ये बात बर्दाश्त नहीं हो पा रही कि भारत ने अपने यहां दो-दो वैक्सीन डेवलप कर ली। सिर्फ अपने लोगों के लिए नहीं बल्कि पड़ोसी देशों को वैक्सीन पहुंचाकर उनके दिल जीत लिए। कुछ लोग इस बात को पचा नहीं पाए कि नरेन्द्र मोदी ने कोरोना से देश को बचाया, दुनियाभर में भारत के प्रधानमंत्री की तारीफ हुई।

ये कुछ लोगों के लिए कड़वा सच है पर भारत के लिए गौरव की बात है। जो लोग इसे स्वीकार नहीं कर पाते वो भारत में आग लगाने का, नफरत की बीज बोने का मौका ढूंढते रहते हैं। सिर्फ इसलिए कि वो मोदी को कमजोर कर सकें, जिसे वो चुनाव में हरा नहीं सकते, जिसे लोकतांत्रिक तरीके से हटा नहीं सकते उसे इंटरनेशनल लेवल पर बदनाम करें और एंबैरेस करें लेकिन ये लोग भूल जाते हैं कि चुनी हुई सरकार के पीछे देश की जनता का सपोर्ट होता है।

नरेन्द्र मोदी एक व्यक्ति नहीं हैं, देश के प्रधानमंत्री हैं। वो दुनिया के लिए इस देश के प्रतिनिधि हैं। दुनिया ने देखा है कि नरेन्द्र मोदी डरने वाले लीडर नहीं है। ये बात पाकिस्तान भी समझता है और चीन भी। अब दुनिया की बाकी ताकतों को भी इसका एहसास हो रहा है कि ये देश एक है। हमारे आपस में झगड़े हो सकते हैं, मतभेद हो सकते हैं लेकिन हम किसी विदेशी प्रोपेगेंडा को हावी नहीं होने देंगे। हम देश का सिर कभी झुकने नहीं देंगे।

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